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अंगविज्जापइण्णयं ५० पचासवाँ उपद्रुताध्याय
२०२-२०४ इस अध्याय में कितनेक रोगों के नाम उल्लिखित हैं ५१ इक्कावनवाँ देवताविजयाध्याय
२०४-२०६ ५२ बावनवाँ नक्षत्रविजयाध्याय
२०६-२०९ इसमें नक्षत्रों के नाम है ५३ त्रेपनवाँ उत्पाताध्याय
२१०-२११ ५४ चौपनवाँ सारासार अध्याय
२११-२१३ ५५ पचपनवाँ निधान अध्याय
२१३-२१४ विविध प्रकार के निधानस्थान और निधान रखने के भाजनों के नाम ५६ छप्पनवाँ निर्विसूत्राध्याय
२१४-२१६ ५७ सत्तावनवाँ नष्टकोशकाध्याय
२१६-२२१ इसमें आहार, अनाज, भाजन, धातु, भाण्डोपकरण और गृहादि के नामों का संग्रह है ५८ अट्ठावनवाँ चिंतिताध्याय
२२३-२३४ इस अध्याय में उत्सव, देवता, मनुष्य, तिर्यग्जातीय जीवों के नाम भेद-प्रभेद वर्णित हैं । इस अध्याय में उत्सव, देवता, मनुष्यजाति के नामादि हैं; तिर्यग्योनिक क्षुद्रजन्तु, छोटे मोटे जलचर, स्थलचर, पशु-पक्षी, मत्स्यजाति, सर्पजाति, चतुष्पद, द्विपद, अपद प्राणियों के नामों का संग्रह है, अनेक प्रकार के आसन, भाण्डोपकरण, पुष्प-फल वृक्ष, रसद्रव्य, तैलभेद, अनाज, वस्त्रप्रकार, भाजन,धातुभेद, प्रादेशिकविभाग, आभरण आदि को द्योतित करनेवाले नाम एवं शब्दों का विपुल संग्रह है। ५९ उनसठवाँ कालाध्याय
२३५-२६२ सत्ताईस पटलों में विभागों में कालाध्यायका कालविषयक फलादेश का निरूपण चतुर्थ और पंचम पटल में क्षुद्रजन्तु और वृक्ष-लतादिके नाम हैं २३७-३८ छटे और सातवें पटल में पशु-पक्षी एवं वृक्षादिके नाम हैं सतरहवें पटल में भोज्यपदार्थों के नाम हैं
२४६ अठारहवें पटल में भक्तवेला, मागधवेला, दूधकेला, आलोलीवेला, कूरवेला, गंडीवेला, प्रातराशवेला, भक्तवेला, यवागूवेला आदि वेलाओं के अर्थात् कार्यकाल के नाम हैं
२४७ बाईसवाँ अर्धप्रमाण पटल
२५०-२५३ चौबीसवाँ वर्षावास-वृष्टिपटल
२५४-२५७ ६० साठवाँ पूर्वमेवविपाकाध्याय-पूर्वार्ध २६२-२६३
६० साठवाँ उपपत्तिविजयाध्याय-उत्तरार्ध २६४-२६९ इस अध्याय में जीवजाति के अनेक प्रकार, उनके नाम और जन्मान्तर में उत्पत्ति विषयक फलादेश वर्णित हैं । अंगविद्याविषयक जप्यविद्या भी है।
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