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आचाराङ्ग
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के. आर. चन्द्र "इधमेकेसि नो' सन्ना' भवति, तं अधा10 - पुरथिमातो
6.
इहमेगेसिं इध
इधं
7.
-एकेसिं
___8.
णो
मजैवि. आचा. पाठा. 1.2.6.101, पाटि.22, प्रति खं, खे, जै; 5.2.153, पाटि. 10, प्रति. खं, इ. आचा. पाठा. 1.2.1.64, पाटि. 12, प्रति खं. ऋषिभा 30.1 आचा. पाठा. 1.1.1.1, पाटि. 3. प्रति. सं, हे 1, 2; 1.2.14, पाटि.1, प्रति सं, शां, खं, खे, जै; 1.3.25, पाटि. 14, प्रति सं. शां, खं, हे 1, 2, ला, ला 1; 2.1.64, पाटि. 12, प्रति खं, खे, जै; 2.4.82, पाटि. 2, प्रति सं, खं, खे, जै; 2.5.87, पाटि. 22, प्रति खं, खे, जै. मजैवि. शु, जैविभा; आचा. प्रति* खं 1; प्रति संदी. 1.8.2.207, 7.225; 2.1.1.331, 2.335, इत्यादि आचा. 1.6.1.178, 8.5. 219 (पृ. 79.5); 2.2.502, 554, 583 (6 बार), 584 (4बार), 592, 614, 616, 627, 631, 679, 680, 687 (4 बार); पाठा. 2.3.1.473, 474,3.2.502, 3.3.517, 15.778 (3 बार); पाठा. 787, पाटि. 15 (स्था., समवा.); 2.3.1.464. पाटि. 1 (निशीथचू.); 'नो सन्ना भवति' आचा.चू. पृ. 10.5 सूत्रकृ. 1.1.1.16, 1.2.44, 2.2.119, 123, 133 (दो बार), 2. 3.158, 4.1.251 (3 बार), 7.407, 9.463, 10.474, 479, 496 (दो बार), 14.598 (दो
बार), 600 (दो बार), 16.633; 2.1.649, 653 (दो - बार), 655, 664, 669, 672 (3 बार), 2.2.713,
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