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प्रथम अध्ययन का पुनः सम्पादन
[७८]
प्रथम उद्देशक
-अक्खाता
(वियक्खाता) आचा. 1.5.6.174
अक्खाताई
आचा. 2.4.1.522 (पृ. 191.2)
सूत्रकृ. 2.2.694 (पृ. 152.11), 2.717
अक्खाते
आचा. 2.15.775, पाटि. 6 (सूत्रकृ. चूपा. दो बार)
सूत्रकृ. 1.9.437, 11.497; 2.4.747, 751 (पृ. 213.17), 752 (पृ. 215.4), 753 (पृ. 216.7)
-अक्खाते
(सुअक्खाते) आचा. 1.8.1.201 (सुयक्खाते) सूत्रकृ. 2.1.652 (क) 'सुयं मे आउसंतेणं भगवया एवमक्खायं'-आचा. 2.7.2.635
(ख) ....सुयं मे आउसंतेण भगवता...'-आचा. पाठा. चूपा. 2.7.2.635,
पाटि. 2
(ग)
'सुयं मे आउसंतेण भगवता एवमक्खायं'-सूत्रकृ. 2.1.638 (पृ. 121.5)
(घ) 'सुयं मे आउसंतेणं भगवता एवमक्खातं'-सूत्रकृ. 2.3.722,
__ (पृ. 194.3) (च) 'सुतं मे आउसंतेणं भगवता एवमक्खातं'-सूत्रकृ. 2.2.694
(पृ. 152.3)
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