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________________ के. आर. चन्द्र ___ भिसो हिं -5.5; उदाहरण-वच्छेहिं .. व्याकरण की वृत्ति में सर्वनाम के प्रकरण में –हि प्रत्यय भी मिलता है - तीहि-6 55, पुनः 6.61 में अग्गीहि, वाऊहि, इत्यादि उदाहरण भी मिलते हैं जबकि उनके ही पाठान्तर मे -हिं मिलता है। । हेमचन्द्राचार्य के अनुसार -हि, -हिं और -हि तीन प्रत्यय हैं । भिसो हि हि हि 8.3.7 उदाहरण-वच्छेहि, वच्छेहि , वच्छेहि ४. षष्ठी बहुवचन .. वररुचि के प्राकृतप्रकाश के अनुसार षष्ठी बहुवचन का विभक्तिः प्रत्यय -ण है । टामोर्णः 54 उदाहरण-वच्छाण पाठान्तर में -णं मिलता है (कॉवेल, पृ. 39) । सूत्र नं. 5.11 में भी –वच्छाण रूप है । हेमचन्द्राचार्य के अनुसार भी –ण प्रत्यय है । . टा-आमोर्णः-8 3.6, उदाहरण -वच्छाण __ ण के बदले -णं का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। ५. सप्तमी बहुवचन प्राकृतप्रकाश में स. ब. व. के लिए मात्र -सु प्रत्यय दिया गया है । सुपः सु:-5 10, उदाहरण- वच्छेसु अन्य उदाहरणों मे -तुझेसु, तुम्हेसु 6 30, अम्हेसु 6.53, दोसु 6.54 और वच्छेसु 6.63 मिलते हैं । पाठान्तर में दोसु 0.54 भी मिलता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001436
Book TitleParamparagat Prakrit Vyakarana ki Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages162
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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