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All the different Religions are so many Paths that lead Mankind to the one Universal God.
Swamy Ramdas
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आ गे __ अनु पूरक
एवं
परिशिष्ट
देउ ण देउले णवि सिलए णवि लिप्पइ गवि चित्ति । अखउ णिरंजणु णाणमउ सिउ संठिउ समचित्ति ॥
परमात्मप्रकाश 1.125 आत्मतत्त्व न देवालथ में, न शिला में, न लेप्य में और न चित्र में है। वह अक्षय, निरंजन, ज्ञानमय, शिव, समचित्त में संस्थित है ।
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