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आगम-ग्रंथों में......अर्धमागधी की स्थिति
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के पाठान्तर में 'अत्ता' पाठ मिल रहा है । ऐसी अवस्था में प्राचीन पाठ 'अत्ता' क्यों नहीं लिया जाना चाहिए था ? (2) आचारांग (जैन विश्वभारती संस्करण) | पाठान्तर प्राचीन
पहू एजस्स (आचा. 1.1.7.145)। पभू
(3) इत्थीपरिन्ना (आल्सडर्फ द्वारा संपादित) कहीं पर प्राचीन तो कहीं पर परवर्ती शब्द-पाठ (क) प्राचीन पाठ स्वीकृत) | (परवर्ती पाठान्तर में)
इत्थीवेदे (1.23) । विदू वि (1.26) विऊ वि वदित्ताणं (1.23)
वइत्ताणं लूह(चूर्णी से)(1.25)
रुक्खं (ख) । (परवर्ती पाठ स्वीकृत) | (प्राचीन पाठान्तर में)
वेयाणुवीइ 1.19 । वेदानुवीयी (चूर्णी-पाठ) पवाएणं 1.26 पवादेण (,) मुच्चए 1.9 मुच्चती (प्राचीनतम ताड़पत्र) गिहाई21.17 । गिहाणि (पाठान्तर)
1. देखिए : Kleine Schriften, pp. 197-198 ____.. 2. जबकि 1.25 में चित्तलंकारगाणि (यानि-आणि वाला पाठ)
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