________________
कला है जिसका आचरण करने से मानव इसी जन्म में उच्च आध्यात्मिक स्थिति को प्राप्त कर सकता है ।
क्या जैन धर्म में धन संचय न करने को कहा गया है ?
नहीं, उसमें कहा गया है कि निश्चित मर्यादा से अधिक “धन-सम्पत्ति नहीं रखनी चाहिए ।
क्या आपने उसका व्रत लिया है ?
नहीं किन्तु स्वयं प्राप्त धन का कुछ हिस्सा सार्वजनिक के लिए खर्च करने का मेरा नियम है ।
दिनांक ८ जनवरी १९८० को कस्तूरभाई बम्बई में बीमार पडे, डाक्टर ने उनके स्वास्थ्य को देखकर पन्द्रह दिन बिस्तर में ही ‘आराम करने की सलाह दी। किन्तु कस्तरभाई ने कहा मुझे अहमदाबाद
ले चलो मैं वहीं आराम करूंगा । डाक्टर ने प्रवास नहीं करने की - सलाह दी किन्तु कस्तूरभाई के मन में अहमदाबाद के प्रति ऐसी
आत्मीयता थी कि उन्होंने अपने अन्तिम दिन अहमदाबाद में ही बिताने की तीव्र इच्छा व्यक्त की । उनको बैचेन देखकर डाक्टर ने अंत में अहमदाबाद जाने की सम्मति दी । वेदना होने पर भी कस्तरभाई के मुख पर आनन्द छा गया एम्ब्यूलेन्सवान द्वारा स्टेशन लाए गये । दूसरे दिन सुबह जब अहमदाबाद पहुंचे तब मन प्रसन्न हो गया, मानो सारी पीडा समाप्त हो गयी हो, परन्तु १९ जनवरी को दिव्यधाम के आमंत्रण को शान्ति पूर्वक स्वीकार कर उन्होंने उसके लिए प्रस्थान कर दिया ।
कस्तरभाई मानते थे कि व्यक्ति की मृत्यु से देश का उत्पादन रुकना नहीं चाहिए । उनके अनुसार व्यक्ति को सही श्रद्धांजलि तो उसकी भावनानुसार काम करके ही दी जानी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org