SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४ एकुत्तर-सउमो संधि [१९] तहे णामु विणिम्मिउ पउमएवि अवइण्ण णाई सई पउमएवि लहु पउमएउ णामेण भाइ तें सहुं णंदण-वणे जाम जाइ तहिं ताम दिछु वरधम्मु साहु अहिणंदेवि दुहिय-पयंग-दाहु वउ लइउ ण णजइ णामु जासु ___इह-भवे णिवित्तु महु फलहो तासु अवरेक दिवसे वाह-प्पहाणु उक्खंधे आयउ चंडिवाणु सो सहसा सयल्ल-वि गाम लेवि गउ पउमएवि वंदिउ धरेवि चडु वार-सयाइं करंतु ताए ण समिच्छिउ सीलालंकियाए परियाणेवि तं मगहेसरेण सीहरहें णिहउ स-मच्छरेण घत्ता भय-भीउ असेसु-वि पल्लि-जणु हरिणु णाई समूढ हुउ। भक्खेवि किंपाय-दुमहं फलई काणणे ढुलढुल्लंतु मु॥ [२०] ता पुणु जयएवहो तणिय धीय सा पच्चक्खाणु मणेण लेवि उप्पण्णी पुणु हइमवइ-खेत्ते पुणु तत्थहो दीव-सयंभुरमणे विंतर-सुरवइहे सयपहासु तत्थहो पुणु भरहे जयंत-णयरे उप्पण्ण विमलसिरि सिरिय दुहिय पोढत्ते मलय-विसयाहिवासु सइमेह-णाम-णामंकियासु हुउ मेहघोसु णामेण पुत्तु भिल्लाहिवेण जा हरेवि णीय दिढ-वय अणसाइय-फलु मरेवि स विएक्क-पल्ल-आउस-णिउत्ते घरिणि हरिसिय-पहि अमर-रमणि ४ हुय णामें सयंपहदेवि तासु सिरिहर-रायहो सिरिमइहे उवरे छण-दिण-समुद्द णं लवण-मुहिय सिरि-भद्दिल-पुरवर-पत्थिवासु ८ अच्चंत-विहोए दिण्ण तासु वहु-कालें णरवइ मरणु पत्तु घत्ता तहो तणए विओएं विमलसिरि सहसा कलुणु समुन्भविय। दिढमइ-पउमावइ-कंतियहिं पासु पढुक्केवि पव्वइय ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001430
Book TitleRitthnemichariyam Part 4 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2000
Total Pages122
LanguagePrakrit, Apabhramsha
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy