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सउमो संधि
केवल-किरण-करालिय-गत्तउ धम्मामय-सिंचिय-भुवण-तउ। स-गणु स-पाडिहेरु सुर-सारउ पल्लवएसहो चलिउ भडारउ ॥ (ध्रुवकं) १
णेमिणाहु सामरु साखंडलु चलिउ णाई तहिं जोइस-मंडलु पभणिउ जक्खाहिउ सुर-सारें जोयण तिण्णि णवर वित्थारें करहिं मग्गु मणि-कुट्टिम-सज्जिउ जिणवर-चित्तु णाई रय-वजिउ तेण-वि तेण विउव्वण-सत्तिए मणिमउ भूमि-भाउ किउ भत्तिए ४ विरइउ सुरहि-कुसुम-रय-राइउ जोयण-अद्ध-पमाणे राइड णाणा-तरुवर-गहणु रवण्णउं पण्ण-फुल्ल-फल-वेल्लिहिं छण्णउं सायर-वेलउ व्व सय-मालउं विसहर-घरिणिउ व्व सु-विसालउं रयणिउ व्व पेल्लिय-दिणणाहउं
गोविउ व्व महुमहण-सणाहउं ८
घत्ता ताहं मंज्झे विलसंति विचित्तिउ चूरिय-मोत्तिय-सिय-रयइत्तउ। णिज्जिय छण-ससि-बिंबावलियउ सुरवर-कण्णउ(?) रंगावलियउ॥ ९
[२] सयल-दिसिहिं धरणी सम किजइ मायरिसेण मग्गु सोहिज्जइ गंध-जलेण घणेहिं छडु दिजइ सुरतरुवरु-कुसुमेहिं मंडिजइ गुज्झय-देवेहिं पेसणु किज्जइ कुंकुम-रसेहिं मग्गु सिंचिज्जइ इंदें पडिहारत्तु व किज्जइ अट्ठ वसुहिं सहुं पुरउ चलिजइ हविण धूल-पड-णिवहु लइज्जइ जमु परिमलेण जगु जि धूविजइ लोयंतिएहि-मि अग्गए गम्मइ वायण-तियसेहिं दुंदुहि हम्मइ तुंबुरु-णारय-पमुहेहिं सव्वेहिं मंगलु गाइज्जइ गंधव्वेहिं णच्चिज्जइ थिरकिय-पारंभहिं सइं आहल्ल-तिलोत्तिम-रंभहिं
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