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________________ ८९ [१५] अंगिरस -: -सरासणु करे करेवि पंचाल महारहु रणे विहत्तु स-धयग्गु स-चामरु छिण्णु चाउ करे स-सरु सरासणु अवरु लेवि वेहाविद्धण जं जं धट्ठज्जुणु धरइ धम्मु आसंकिय पंडव एहु अवज्झ हउ आसत्थामुल्लवहु एम जं वोल्लिउ पंकयणाहेण पडवण्णु सव्वु तं सव्वेहिं घत्ता मालव- परमेसरु इंदधम्मु सो भीमें भीम - परक्कमेण हउ आसत्थामु धरत्ति पत्तु थिउ उम्मणु दुम्मणु कलसकेउ मुच्छा-विहलंघलु महि पवण्णु पत्तियइण कासु-वि णाम-भंतु किं सच्चउ आसत्थामु णत्थि महुमहेण वि दिज्जइ कण्ण-जाउ तो अलियालाव- पहावेण रहु भरिउ जुहिलि - केरउ Jain Education International दोणायरिय-विणासयरु । एक्कु मुएप्पिणु णवर णरु ।। [१६] घत्ता तो धाइय वाणासणई लेवि संजमियाणिज्जिय जमल तोणु [१७] वर वच्छदंत सर वीस लेवि ww स- तुरंगु स सारहि सायवत्तु किउ दुमयहो णंदणु हय-पयाउ गुरुविद्धु थणंतरे आहसेवि दोहाइउ कलस - महाधएण तं तं छिंदइ गुरु लहेवि जम्मु हरि कहइ करहो उवएसु मज्झु णिय-चावलट्ठि परिहरइ जेम गुरु- वहकरणुक्कंवलई । महिहे चउद्दह अंगुलई ॥ तो तणउं महा-करि कूर-कम्मु धुप- केसर - केसरि - विक्कमेण जाइ हुदणु रणे समत्तु धणु छंडिउ पंडव - पलय - केउ कह कह-वि समुट्ठिउ लद्ध-सण्णु तवणंदणु पुच्छिउ सच्चवंतु पहु पभणइ घाइउ णरु ण हथि महिहरेण णरिंदहं कवणु पाउ बाहत्तरिम संधि पारावयास - सोणास वे - वि पवियंभइ रुंभइ पुरउ दोणु For Private & Personal Use Only ४ ८ ९ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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