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________________ ८७ बाहत्तरिमो संधि ४ धट्ठज्जुणु भीमें वुत्तु एम हय जण्णसेणि तुहुं जियहि केम पुत्तहो पुत्तत्तणु एत्तिउं जे जं वहरि णिहम्मइ वइरि-पुंजे उच्छोहिउ तेण वि पंडु-पुत्तु किं णिहए घुडुक्कए जियहि जुत्तु हउं दोणहो तुहुँ कण्णहो पयट्ट तं णिसुणेवि मारुइ रणे वियट्ठ गउ तेत्तहे जेत्तहे अंगराउ विसमाहउ विहि-मि महंतु जाउ तिहिं सरेहिं थणंतरे भिण्णु कण्णु विहलंघलु कह-विण महि पवण्णु सर-जुज्झु फिट्ट गय-जुज्झु लग्गु रह-कुव्वरु एक्केक्कहो जे भग्गु रविसुय-भुय-जुयल-गलत्थिएहिं पावणि णिसिद्ध वइहत्थिएहिं घत्ता उरे पित्त सत्ति जत्तारहो णिहय तुरंगम वि-रहु किउ। उठेवि णह-लंघण-करणेण णउल-महारहे भीमु थिउ॥ रहु ढोइउ भीमहो अवरु जाम दुजोहणु णउलहो भिडिउ ताम पंडवेण णिवारिउ सरवरेहिं उण्हालउ णं णव-जलहरेहिं सहएवं दूसासणु णिसिद्ध तहो सारहि कंठ-पएसे विद्ध सिरु खुडिउ ण जाणिउ कउरवेण हय खंचिय जंत महा-जवेण पडिवारउ भिडइ ण भिडइ जाम दोणज्जुण-रणु पडिवण्णु ताम रह-मंडल-मग्गेहिं संचरंति दिव्वत्थेहिं विण्णि-वि वावरंति जं कुरु समरंगणे घिवइ हत्थु तं तेण जे पडिवउ हवइ पत्थु दुद्दम-दणु-देह-विदारणाइं णिट्टवियइं सव्वइं पहरणाई हम्मंतु वि हरिसिउ वद्ध-णेहु जगे धण्णउ हउं जसु सीसु एहु घत्ता धट्ठज्जुणु रहवरु वाहेवि भिडिउ ताम दूसासणहो। पज्जालिय-जाला-मालहो जलहरु णाई हुवासणहो॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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