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________________ बाहत्तरिमो संघि घत्ता मई अज्जु कल्ले सामंतेहिं तइय-कण्ण-दूसासणेहिं। मरिएवउ दिवसे चउत्थए सउणि-सल्ल-दुजोहणेहिं ।। सव्वसाइ-विजय-उक्कंठुलेण सयमेव सहिज्जउ जासु विद्ध तो दूरत्थेण-वि रवि-रहेण जामिणि-अवसाणे विलीणु चंदु दडि-काहल-संख-मुइंग देवि वायरणहं मिहुणहं अणुहरंति जिह ताइं तेम गुण-विद्धि णेति जिह ताई तेम णं कंपिराई वहु-एक्क-दु-वयण-पयंपिराई तो विमलइ थियइ दियंतराइ भुंजेवउ रज्जु जुहिट्ठिलेण दुजोहण एहु परमत्थु सिद्ध णवणीय-पिंडु जिह हुयवहेण गउ गिलेवि माणु णक्खत्त-विंदु सु-विउद्धई कुद्धइं वलइं वे-वि जिह ताई तेम सर संभरंति जिह ताई तेम कहु दिहि ण देति जिह ताई तेम किरियावराई जिह ताई तेम पडिवावराई +++++++++++++ घत्ता उययरि-सिहरे रवि उग्गउ दीसइ पंडव-कुरु-णरेहिं। मा मुज्झहो केत्तिउ जुज्झहो णाई णिवारिय णिय-करेहिं ।। ११ [८] रवि-उग्गमे भिडियइं वलई वे-वि गय गयहं तुरंगहं तुरय देवि रह रहहं महाधय धयवडाहं रण-रस-रहसुब्भड भड भडाहं रउ पुणु वि समुट्ठिउ तेत्थु काले थिउ णाई णिवारिउ अंतराले जइ धावहो अणियहो अणिउ देवि तो गिलमि पंडु-कुरु-वलइंवे-वि अण्णेत्तहे उहिउ पहरणग्गिणं विहि-मि अणीयहं करइ लग्गि मं मुज्झहो जुज्झहो सामि-कजे पाइक्कहं संपय एत्तिय ज्जे जं रण-मुहे जय-सिरि पासु एइ सुर-वहुय मरंतहं सवसु देइ ससि-फलिहे लिहिज्जइ णियय-णामु पहरिज्जइ केम ण जाम थामु ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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