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________________ ८३ घत्ता धणु देउं को विण विद्धउ ध देणंगणे पहर तो सोयर - सुय - उक्कंठुलेण परमत्थु भडारा कहिउ एहु किउ अलयालंवल- मद्दणेण [३] परिवड्ढइ तेण महंतु दुक्खु सिरि- रामालिंगिय - विग्गहेण कायर- पुरिसहं अवसरु ण होइ गुरु पेक्खु पेक्खु हि वलइ खाइ तो धाइ सरह पंडु -पुत्त घत्ता गय गयहं तुरंग तुरंगमहं भीमज्जुण - जमल- जुहिट्ठिल Jain Education International [४] as - गोमुह - डंवर - पडह देवि पहरंति परोप्परु सुहड के - वि उण्णिद्दए णिद्दए घुम्ममाण सुरधणु-पयंड-गंडीव - हत्थु मं पहरहोस - तिमिरे संपहारे रय - रुहिर - तंरगणि- भग्ग-मग्गे विविहाउह - मंडिय - मंडवेहिं परिपुज्जिउ अज्जुणु सुत्त ते - वि को पहरंतउ णउ मरइ । सावण्णु वे - विकर || णारायणु वुत्तु जुहिट्ठिलेण महु आयहो उप्परि गरुअ - णेहु महु पेसणु भीमहो णंदणेण वज्जम तव-तणउणिवारिउ महुमहेण रोवंतु ण पावइ पिहिवि कोइ हरिणउलई हरिणाहिवइ णाई णं सीह विउज्झाविय पसुत्त को- विणको विरुक्खु ४ रह रहवरहं समावडिय । पंच- वि दोणहो अब्भिडिय ॥ बाहत्तरिम संधि - भिडिय कुरु- पंडव - वलई वे - वि खत्त - पहई पहरणइं लेवि विडंति किवाण - णिहम्ममाण खणु एक्कु णिवज्झहु भणइ पत्थु उ दीसइ किंपि तमंधयारे जुज्झेसहो ससहरे हे वलग्गे पडवण्णु वयणु कुरु - पंडवेहिं रह- सिविय तुरंगेहिं आरुहेवि For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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