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घत्ता
धणु देउं को विण विद्धउ ध देणंगणे पहर
तो सोयर - सुय - उक्कंठुलेण परमत्थु भडारा कहिउ एहु किउ अलयालंवल- मद्दणेण
[३]
परिवड्ढइ तेण महंतु दुक्खु सिरि- रामालिंगिय - विग्गहेण कायर- पुरिसहं अवसरु ण होइ गुरु पेक्खु पेक्खु हि वलइ खाइ तो धाइ सरह पंडु -पुत्त
घत्ता
गय गयहं तुरंग तुरंगमहं भीमज्जुण - जमल- जुहिट्ठिल
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[४]
as - गोमुह - डंवर - पडह देवि पहरंति परोप्परु सुहड के - वि उण्णिद्दए णिद्दए घुम्ममाण सुरधणु-पयंड-गंडीव - हत्थु मं पहरहोस - तिमिरे संपहारे रय - रुहिर - तंरगणि- भग्ग-मग्गे विविहाउह - मंडिय - मंडवेहिं परिपुज्जिउ अज्जुणु सुत्त ते - वि
को पहरंतउ णउ मरइ ।
सावण्णु वे - विकर ||
णारायणु वुत्तु जुहिट्ठिलेण महु आयहो उप्परि गरुअ - णेहु महु पेसणु भीमहो णंदणेण
वज्जम तव-तणउणिवारिउ महुमहेण रोवंतु ण पावइ पिहिवि कोइ हरिणउलई हरिणाहिवइ णाई णं सीह विउज्झाविय पसुत्त
को- विणको विरुक्खु ४
रह रहवरहं समावडिय । पंच- वि दोणहो अब्भिडिय ॥
बाहत्तरिम संधि
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भिडिय कुरु- पंडव - वलई वे - वि खत्त - पहई पहरणइं लेवि विडंति किवाण - णिहम्ममाण खणु एक्कु णिवज्झहु भणइ पत्थु उ दीसइ किंपि तमंधयारे जुज्झेसहो ससहरे हे वलग्गे पडवण्णु वयणु कुरु - पंडवेहिं रह- सिविय तुरंगेहिं आरुहेवि
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