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________________ विणिवाइए भीमहो णंदणे पेक्खंतहो कउरव - लोयहो बाहत्तरिम संधि - सुर- समर विढत्त महागुणेण सुर-गिरि - चंकमणे समुद्द- खोहे भू-भाय-कंपे णव-गह- णिवाए संतोसु तुज्झु कज्जेण केण तो कहि रहो णारायणेण ण घुडुक्कउ मुउ मुउ अंगराउ सिणि-दणु पभण देव देव सच्च हे कहिज्जइ महुमहेण [१] Jain Education International पंडु- सेण्णु थिउ दुम्मणउं । कण्हें किउ वद्धावणउं ॥ एक्काहणि वासव - दिण्णय तोमारई रेण मरण घत्ता जइ सा कह - वि समल्लिया । अहं एक्कु - वि वि जियइ ॥ ण [२] salaण वियत्तणेण माहवहं विहि- मिचवइ एवं जाम सिवि - सोमय - सिंजय - कासि - राय तो जमल- जुहिट्ठिल- भीमसेण जिह भंडणु तिह खउ खत्तियाहं पढमुत्तरु मुउ रक्खंतु सेउ कोजाइ अज्जु-वि विजउ काहं ववसाइहिं सोक्खई जेम होति वोल्लविउ माह फग्गुण दिवसयराणुग्गमे जम-विरोहे सुय - सोयाऊरिए धम्म- जाए किउ वद्धावणउं महंतु जेण आदिउ आएं कारणेण वि सत्तिए णिव्विसु अहि व जाउ अज्जुणहो ण उप्पर मुक्त केवं मोहक घित्त तेण अविमुक्क णरहो हियत्तणेण दोहो धाइय सामंत ताम पंचाल - मच्छ- कच्छय-सहाय वोल्लाविय कण्हें स-हरिसेण रोवेसहु कारणे केत्तियाहं अहिमण्णु घुडुक्कर पुणु अजेउ अवलंवेवि धीरम भिडहु ताहं स- मणोरहं तुम्हहं मिलिउ कोंति For Private & Personal Use Only १ ४ ८ ९ ४ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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