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________________ रिट्ठणे मिचरिउ [६] दिव्वाउहेहिं सिल- पायवेहिं - कुलिसाचलेहिं असुरामरेहिं अवरेहिं तेहिं Jain Education International पहरंति दोहिं माहिं रमंति चलणेहिं तुरंति यणेहिं डहंति ड- भुएण तो दिढ - कवि किवाणु सिरु छिण्णु तासु [७] दुक्खवेवि खिवेवि सीसारविंदु रयणीयरु भीयरु सुड्डु जाउ अरुणच्छु दलु लहु लोहियासु संहारण तारण-सम-किरीडु भू-भाय- भयावह - भूरिभाउ धूमप्पह- कंस-मयंग - ताणु सोणिय - पुडिंग - चित्तलिय- चिंधु परिभमइ भमाडइ वइरि - सेण्णु व-हुयवहेहिं घण - वायवेहिं हरि-मयगलेहिं गरुडोरगेहिं +++++ पच्छण्ण होहिं णयले भमंति वयणेहिं फुरंति सिक्किणि लिहंति भीमहो सुण सिहि सिह- समाणु रयणीयरासु घत्ता जम-पडिविंवे लेवि घित्तु हइडिंवे रहवरे कउरव - रायहो । लइ लइ दुण्णय-दुम-फलु चक्खउ कुरु- वलु रस - विसेसु को आयहो ॥१३ पच्चारेवि खेरिवि कुरु-णरिंदु - रहु पेल्लिउ मेल्लिउ सीह - णाउ थोरहि गठि णिप्फरिस पासु दुज्जोहण - साहण - पाण- पीडु वारहय- रयण- परिमाण - चाउ सय- साम- तुरंगम- जुत्त-जाणु णं णिम्मज्जायउ पलय- - सिंधु मं भज्जहो वलहो वलंतु कण्णु For Private & Personal Use Only ७४ - ४ १२ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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