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धाइउ रयणियरु णरिंदहो पेल्लावेल्लि कर हं
तो कणियार - कुसुम-दल-वण्णें
रयउ घुडुक्करण मायावउ तरु
- गिरि-सिल- पाहणहिं हत्थउ दिस - पमाणु सायर - गंभीरउ हय-वाइत्त-पवड्डिय-कलयलु अंगुराउ पर एक सहुं सीसक्केहिं सीसई छिण्णई
कंपिउ
आसवार स-तुरंग समाहय
उवदुक्कएण कण्णहो अणि
तेण वि णिसिद्ध
घत्ता
करि व करिंदहो जाउ रउद्दु रणंगणु । झुल्ला
सुरहं णियंत
हगणु ॥
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घत्ता
थरहरिय-गत्तु
भीमुब्भवेण रवि - सुएण छिण्णु गय भीयरेण
कलहोय-वण्ण स- वि अदिहि देंति
इकहत्तरिमो संधि
लयउ परमु दिव्वाउहु कण्णें साहणु हणु हणु सद्दुद्दामउ वारुण-वायव- अग्गेयत्थउ विसहर - विसमु धराधर - धीरउ तं णिएवि आसंकिउ कुरु-वलु णिसियर - णियरु खुरुप्पेहिं कप्पिउ स- कवंधई तणु-ताणई भिण्णई सरह रहिय सारोह समागय
माया-वलु जगडाविउ
रणे विहडाविउ सरेहिं दिवायर - पुत्तें ।
लक्खण-लक्ख-विणासेहिं दोस - सहासेहिं कुकइ कव्वु जिह धुत्तें ॥ ९
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मग्गण-गण घित्त घुडुक्कएण उरु भिंदेवि पुणु महियले पट्ठ दोसायरु दसहिं सरेहिं विदु कह कह-वि हु धरणीयलु ण पत्तु
सहसारु चक्कु मुक्कउ जवेण उवविसणु णाइं रणे सिरिहे दिण्णु
लल्लक्क मुक्क रयणीयरेण
संचारिम णावर णाग - कण्ण विणिवारिय असइ व पासु एंति
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