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________________ ७५ धाइउ रयणियरु णरिंदहो पेल्लावेल्लि कर हं तो कणियार - कुसुम-दल-वण्णें रयउ घुडुक्करण मायावउ तरु - गिरि-सिल- पाहणहिं हत्थउ दिस - पमाणु सायर - गंभीरउ हय-वाइत्त-पवड्डिय-कलयलु अंगुराउ पर एक सहुं सीसक्केहिं सीसई छिण्णई कंपिउ आसवार स-तुरंग समाहय उवदुक्कएण कण्णहो अणि तेण वि णिसिद्ध घत्ता करि व करिंदहो जाउ रउद्दु रणंगणु । झुल्ला सुरहं णियंत हगणु ॥ [८] Jain Education International घत्ता थरहरिय-गत्तु भीमुब्भवेण रवि - सुएण छिण्णु गय भीयरेण कलहोय-वण्ण स- वि अदिहि देंति इकहत्तरिमो संधि लयउ परमु दिव्वाउहु कण्णें साहणु हणु हणु सद्दुद्दामउ वारुण-वायव- अग्गेयत्थउ विसहर - विसमु धराधर - धीरउ तं णिएवि आसंकिउ कुरु-वलु णिसियर - णियरु खुरुप्पेहिं कप्पिउ स- कवंधई तणु-ताणई भिण्णई सरह रहिय सारोह समागय माया-वलु जगडाविउ रणे विहडाविउ सरेहिं दिवायर - पुत्तें । लक्खण-लक्ख-विणासेहिं दोस - सहासेहिं कुकइ कव्वु जिह धुत्तें ॥ ९ [९] मग्गण-गण घित्त घुडुक्कएण उरु भिंदेवि पुणु महियले पट्ठ दोसायरु दसहिं सरेहिं विदु कह कह-वि हु धरणीयलु ण पत्तु सहसारु चक्कु मुक्कउ जवेण उवविसणु णाइं रणे सिरिहे दिण्णु लल्लक्क मुक्क रयणीयरेण संचारिम णावर णाग - कण्ण विणिवारिय असइ व पासु एंति For Private & Personal Use Only ९ ४ ८ ४ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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