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माह कमर
रिठ्ठणे मिचरिउ
घत्ता णर-णारायण-रायहिं पेसिउ आएहिं पर-वले भिडिउ घुडुक्कर। णं हरि-हर-वंभाणेहिं तिहि-मि पहाणेहिं मंदरु सायरे मुक्कउ ॥
[३] गिरि-फुडण तडि-पडण- पडिरवेण किलिगिलइ रमछमइ णहु छिवइ महि कमइ रिउ ललइ घणघणइ पहरण अवरह इ वले मिलई अयरिसउ तणु करेवि धय-पडेहिं पडिणिलई मण-पवण-चल-गमणु खयर-वहे रयणियरु 'परिभमइ जउ जउ जे तउ तउ जे रय-णियरु रह-दलई गय-दलई भड लुणइ हय हणइ जउ जउ जे तउ तउजे घवघवइ रुहिर-णइ जउ जउ जे गयरुअइं तउ तउ जे पइसरइ जउ जउ जे वस वहइ तउ तउ जे रउकरइ जउ जउ जे पउ घिवइ तउ तउ जे रसरसइ जउ जउ जे रसरसइ तउ तउ जे अहितसइ तउ तउ जे विसु मुअइ जउ जउ जे जगु सुवइ जउ जउ जे रणे भमइ तउ तउ जे दिसि भमइ जउ जउ जे दिसि भमइ तउ तउ जे णहु णमइ
(सव्व-लहु छंद)
घत्ता
वलइ गिलंतु घुडुक्कउ असणि व मुक्कउ धरिउ ण सक्किउ अण्णे। कायर मंभीसंतें थाहि भणंतें सरहिं पडिच्छिउ कण्णें ॥
१६
तो दुजोहणेण स-सरासणु चंपाहिवहो करहि परिरक्खणु णवर दिवायर-दूसह-तेयहो
वाहि वाहि पेसिउ दूसासणु हिंडइ जाउहाणु अवलक्खणु कहि-मि पभाउ करेसइ आयहो
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