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इकहत्तरिमो संधि
भग्गए रह-गय-वाहणे पंडव-साहणे णर-णारायण-मुक्कर। लोल-ललाविय-जीहहो सीहु व सीहहो कण्णहो भिडिउ घुडुक्कउ ॥ १
[१] भणइ अणीए भग्गे तव-णंदणु अज्जुण वाहि वाहि लहु संदणु पिययण पलयमाण गय-सारहि कुरुवइ अंगराय विणिवारहि कहइ अणंतु ण अवसरु अण्णहो वासवपुत्त-जायव करे कण्णहो ताम समत्थु-वि णरु ण पहुच्चइ आयहो समरि घुडुक्कउ मुच्चइ मायविउ वहु-मायहिं जुज्झइ सव्व-कुसलु सव्वत्थई वुज्झइ महुसूयण-उवएसें आएं तो पट्ठविउ जुहिट्ठिल-राएं लइ धणु चक्कु सूलु गय-खंडउ पंडव-लोयहो होहि तरंडउ जंपइ जाउहाणु मुहु जोएवि अच्छु णाह णिच्चिंतउ होएवि ८
घत्ता हउं समरंगणे मुक्कउ जमु जिह ढुक्कउं कुरु-समसुत्ती दावमि । संसय-भावे वलग्गी महि आवग्गी कल्लए पइं भुंजावमि ।
गजिऊण एवं तमीयरो धूमकेउ धूमयर-सत्थहो अक्क-चक्क-लल्लक्क-लोयणो . पलय-काल-पडिरूव-भीसणो चलण-लीढ-अट्ठय-वसुंधरो धाइओ भडो भीम-णंदणो णक्ख-चम्म-ओणद्ध-अवयवो णेमि-वलय-जव-जिय-विहंगमो
भूरी-भाव-भूभाय-भीयरो काल-महाकालग्गि-दूसहो सव्वगासि-वडवा-मुहाणणो महण-पत्त-मयरहर-णीसणो उत्तमंग-उद्धंपियंवरो कडिओ पिसायहिं स-संदणो अद्ध-चक्क-चिक्कार-भइरवो भूरि-भार-भारिय-भुअंगमो
(विलासिणी छंद)
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