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________________ ६१ घत्ता खत्तिउ गज्जइ तहो छज्जइ जो जुज्झइ अवियारेण । वंभण भोयणे रणग-रंगणे तासु काई वावारेण ॥ तुहुं गुरु गुरु-णंदणु वंभयारि जुज्झेवि दस दिवस महा-रहेण दुज्जहणु दुहेव कियाहिसेउ सावेण सरेण वि जो णासंतु जयद्दहु धीरवेवि गुरु-सुउ अक्खोहणि हणइ जाम समत्थु संगाम - हरिण पई कवणु कज्जु किउ पभणइ तेरी लुहिय जीह [३] घत्ता पेक्खेवि माउलु गुरु- कोवालु लइउ खग्गु गुरु-पुत्तेण । किं भडवाण मरु घाएण पामि सीसु निरुत्तेण ॥ ताव तुरंतउ रवि - सुउ जेत्त अवरुप्परु उट्ठाउट्ठि जाम चंपाहिउ पभणइ एउ एउ जाणिवइवसपुर - पहेण घरे भमइ ण जुज्झहि सामि - कज्जे रुदीस इंतउ रहवरेण मई घइं मारेवउ समरे पत्थु पणवेप्पिणु पभणइ कुरुव-राउ अवरोप्परु किं भड - मच्छरेण Jain Education International [४] घत्ता पहरंतउ रणे तेत्तहे णिय - सामिय- वले दोहावयारि कि सुंदर कवणु पियामहेण पंडवहं मरते दिण्णु उ तेण - वि विहि- वइरिहिं दिण्णु हत्थु ४ माराविउ पत्थइ भेउ देवि पंचह-मि मज्झे किण्णेक्कु ताम जुज्झहि पारक्कउ होवि अज्जु मरु पाएं पेल्लिवि लुणमि जीह सत्तरिम संधि दुज्जोहण मज्झे पड्डु ताम परमेसरु मा धरि घाउ देउ फलु एत्तिउ वंभण-संगण कलहिज्जइ जं मणु सइय सज्जे भिडु गज्जहि जेम मडप्फरेण एहु अच्छइ उज्झिउ धम्म- हत्थु गुरु-पुत्त होहि आहवे सहाउ सव्वहो पहरेवउ सहु णरेण हय-गय-रह-सय-वाहणु । धाइउ पंडव - साहणु ॥ For Private & Personal Use Only ९ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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