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________________ ५७ ऊणहत्तरिइमो संघि [१६] जं संदणु मुसुमूरेवि मुक्कर धट्ठज्जुण-रहे चडिउ घुडुक्कर विहि-मि सरेहिं विद्ध गुरु-णंदणु तेण वि गरुयउ किउ कडवंदणु ताम विओयरु रहसुद्धाइउ पुत्तहो केरए विहुरे पराइड रह-सहसेच्छहिं(?) पवर तुरंगहं सत्त-सएहिं मत्त-मायंगहं तेण वि पडिगाहिउ णिय-णंदणु । दिण्णु स-तुरउ स-सारहि संदणु दोण-सुएण ताम सर लाइय रयणियरहं अक्खोहणि घाइय पेक्खंतहो तहो पंडव-राणहो गयणे चडंति ताम अत्थाणहो रहवर-णर-तुरंग-महि पाविय रुहिर-महाणइ-णिवह वहाविय पत्ता तो दोणायरियहो पुत्तेण विद्धु थणंतरे रयणियरु । उरु भिंदेवि सहु संणाहेण धरणिहे गंपि पइडु सरु॥ [१७] रहवरे घुम्मेवि पडिउ घुडुक्कर कह व कह व जीविएण ण मुक्कर ताम जुहिट्ठिलु मणे चिंताविउ महणावत्थ समुद्दु व पाविउ विहि-मि अणीयहिं दोणि विसेसिउ कुसुम-वासु सुरवरेहिं पदरिसिउ सच्चइ सोमयत्तु तहिं अवसरे कुविय वे-वि णं गह खय-वासरे भीमें अंतराले तो थाएवि विद्ध सिलीमुह दह उरे लाएवि तेण-विवाण-सएण विओयरु छाइउ णं घण-जालें महिहरु जायवेण दस विसिह विसज्जिय पुणु पडिवारी सत्ति पउंजिय सत्तहिं कप्पिउ कवउ खणंतरे अवरें पाडिउ हणेवि थणंतरे घत्ता रहु छंडेवि भीमहो पुत्तेण रिउ-मुहु रोसाऊरियउ। पेक्खंतहो कउरव-लोयहो परिह-पहारिहिं चूरियउ॥ [१८] चूरिउ सीसु वि सहु मत्थिक्के धरिउ विओयरु तो वल्हिक्के पंडु-सुएण णवहिं णारायहिं विद्ध थणंतरे णिब्भर-घायहिं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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