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ऊणहत्तरिइमो संघि [१६] जं संदणु मुसुमूरेवि मुक्कर धट्ठज्जुण-रहे चडिउ घुडुक्कर विहि-मि सरेहिं विद्ध गुरु-णंदणु तेण वि गरुयउ किउ कडवंदणु ताम विओयरु रहसुद्धाइउ पुत्तहो केरए विहुरे पराइड रह-सहसेच्छहिं(?) पवर तुरंगहं सत्त-सएहिं मत्त-मायंगहं तेण वि पडिगाहिउ णिय-णंदणु । दिण्णु स-तुरउ स-सारहि संदणु दोण-सुएण ताम सर लाइय रयणियरहं अक्खोहणि घाइय पेक्खंतहो तहो पंडव-राणहो गयणे चडंति ताम अत्थाणहो रहवर-णर-तुरंग-महि पाविय रुहिर-महाणइ-णिवह वहाविय
पत्ता तो दोणायरियहो पुत्तेण विद्धु थणंतरे रयणियरु । उरु भिंदेवि सहु संणाहेण धरणिहे गंपि पइडु सरु॥
[१७] रहवरे घुम्मेवि पडिउ घुडुक्कर कह व कह व जीविएण ण मुक्कर ताम जुहिट्ठिलु मणे चिंताविउ महणावत्थ समुद्दु व पाविउ विहि-मि अणीयहिं दोणि विसेसिउ कुसुम-वासु सुरवरेहिं पदरिसिउ सच्चइ सोमयत्तु तहिं अवसरे कुविय वे-वि णं गह खय-वासरे भीमें अंतराले तो थाएवि विद्ध सिलीमुह दह उरे लाएवि तेण-विवाण-सएण विओयरु छाइउ णं घण-जालें महिहरु जायवेण दस विसिह विसज्जिय पुणु पडिवारी सत्ति पउंजिय सत्तहिं कप्पिउ कवउ खणंतरे अवरें पाडिउ हणेवि थणंतरे
घत्ता रहु छंडेवि भीमहो पुत्तेण रिउ-मुहु रोसाऊरियउ। पेक्खंतहो कउरव-लोयहो परिह-पहारिहिं चूरियउ॥
[१८] चूरिउ सीसु वि सहु मत्थिक्के धरिउ विओयरु तो वल्हिक्के पंडु-सुएण णवहिं णारायहिं विद्ध थणंतरे णिब्भर-घायहिं
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