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रिट्ठणे मिचरिउ
- विघित्त सत्ति उरे लग्गी मुच्छाविय मायरिसहो णंदणु गिरिवर- गरुय - भयंकर -काएं सहिं सरेहिं स-सूय स- संदण पंचहिं पंच - वि सउणिहे भायर ताव जुहिट्ठिलु भिडिउ तिगत्तहं सिवि - अंवट्टाभीरहं भोयहं
घत्ता
सर-1
- णियर- णिरंतर- भिण्णेण तव-तणउ पडिच्छिउ दोणेण
दोण - जुहिट्ठिल भरिय रणंगणे विण्णि वि वावरंति लहु - हत्थेहिं वारुण-वायव- 1 - गिरि- अग्गेयहिं ताम धणंजण लहु-हत्थें सीसु भणेवि वंचिय- पउरंदरि सयल - वि वायवेण उड्डाविय विणि-वि वलई ताम णिद्दइयइं वण-वियणाउराई समसीणई
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घत्ता
तेहए-वि काले पडिवण्णए पहरंति केवि पडिसद्दणे
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तामणरेण वुत्तु णिय-सारहि कण्णु दो दुज्जोहणु
विवम् सउणि दूसासणु
जायव लइ वस-कद्दमे खुत्तइं
णिययाणीएं भग्गएण । णाई गइंदु महागएण ॥
नाग - कण्ण दुमे णाइ वलग्गी कह - विसमुह किय- कडवंदणु चूरिउ सीसु गयाणि-घाएं घाइय दह धयरट्टहो णंदण णं खय-दिवसहिं सोसिय सायर मद्द - खुद्द - मालव- सामंतहं सग - मुहं अवरहं मि अणेयहं
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पिक्खाविय गिव्वाण णहंगणे पउरंदर कउवेरेहिं अत्थेहिं तामस - सउर-सएहिं अणेयहिं दोणार लइ वंभत्थें धाइउ पुणु पंचालहं उप्परि अज्जुण-भीमेहिं मंभीसाविय सीय - वाय-तम-रय- पच्छइयइं मिहुण थियई णाई - खीणई
मुएवि महारह हत्थि-हड । रुहिरे तरंत तरंत भड ॥
तुरिउ महारहु अग्गए सारहि जहिं गुरु-णंदणु रइयारोहणु जहिं विससेणु सल्लु स-सरासणु जाव रहह चक्कई पंगुत्तई
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