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________________ ५५ तेण-वि छिण्णु विद्धु स-सरासणु लइयइं णिसियरेण फर- खग्गई घत्ता ते पायव पाहाण सिलीमुह छिंदेवि छिंदेवि थूणा - कण्णेहिं पाडिउ महियले अंजण - पावउ ताम घुडुक्करण हक्कारिउ गुरु-सुएण विहसेप्पिणु वुच्चइ जाहि वच्छ जइ चंगें कारणु पभणइ भीमसेणि करि वुत्तउं हउं सो जाउहाणु जमु वीयउ पुणु अण्णहिं रहवरे चडिउ । गय मुक्क खुरुप्पें खंडिय पायव पाहाण-पिसक्केहिं णं खय जलहरु ओवडिउ ॥ [१२] घत्ता अवरोप्पर पच्चारेप्पिणु पंडव - कउरवहं णियंतहं Jain Education International भीम - सुएण सरासणि मेल्लिय जं जं रणे रणिय पगासिउ हाथ व महीहरु भीम - सुण ण अप्पर दरिसिउ पवणत्थेण सो-वि विणिवारिउ ताम घुडुक्कएण दुव्वारइं गिरि - धीरइं सायर-गंभीरई महिस- वराह - रिक्ख - सारंगई [१३] धुरि स-तुरंगमु णिउ जम- सासणु ताई - मि कुतवसि वयई व भग्गई - णं वे गिरि एक्कहिं घडिय । भीम-दोण-णंदण भिडिय || ऊणहत्तरिइमो संधि णिय दोणायणेण हेट्ठामुह रिउ वच्छयले भिण्णु अण्णण्णेहिं सूडिउ वासवेण णं पावउ थाहि थाहि जिह णंदणु मारिउ परं समाणु महु भिडेवि ण रुच्चइ तो मेल्लि मेल्लिणिय-पहरणु जाहिताय र रहि णिरुत्तउं तासु पुत्तु जें घाइउ कीयउ सयल - वि गुरु-सुएण पडिपेल्लिय तं तो माया - जालु विणासिउ किउ गुरु- सुण सो-वि सय- सक्करु जलहरु होवि णहंगणे वरिसिउ लक्खु णिसायराहं तहिं मारिउ रूव कियई अणेय - पयारइं सरह - सीह - सद्दूल - सरीरइं सव्वई करेवि मडप्फरु भग्गई For Private & Personal Use Only ८ ४ ८ ९ ४ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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