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तेण-वि छिण्णु विद्धु स-सरासणु लइयइं णिसियरेण फर- खग्गई
घत्ता
ते पायव पाहाण सिलीमुह छिंदेवि छिंदेवि थूणा - कण्णेहिं पाडिउ महियले अंजण - पावउ ताम घुडुक्करण हक्कारिउ गुरु-सुएण विहसेप्पिणु वुच्चइ जाहि वच्छ जइ चंगें कारणु पभणइ भीमसेणि करि वुत्तउं हउं सो जाउहाणु जमु वीयउ
पुणु अण्णहिं रहवरे चडिउ ।
गय मुक्क खुरुप्पें खंडिय पायव पाहाण-पिसक्केहिं णं खय जलहरु ओवडिउ ॥
[१२]
घत्ता
अवरोप्पर पच्चारेप्पिणु पंडव - कउरवहं णियंतहं
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भीम - सुएण सरासणि मेल्लिय जं जं रणे रणिय पगासिउ हाथ व महीहरु भीम - सुण ण अप्पर दरिसिउ पवणत्थेण सो-वि विणिवारिउ ताम घुडुक्कएण दुव्वारइं गिरि - धीरइं सायर-गंभीरई महिस- वराह - रिक्ख - सारंगई
[१३]
धुरि स-तुरंगमु णिउ जम- सासणु ताई - मि कुतवसि वयई व भग्गई
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णं वे गिरि एक्कहिं घडिय । भीम-दोण-णंदण भिडिय ||
ऊणहत्तरिइमो संधि
णिय दोणायणेण हेट्ठामुह
रिउ वच्छयले भिण्णु अण्णण्णेहिं सूडिउ वासवेण णं पावउ थाहि थाहि जिह णंदणु मारिउ परं समाणु महु भिडेवि ण रुच्चइ तो मेल्लि मेल्लिणिय-पहरणु जाहिताय र रहि णिरुत्तउं तासु पुत्तु जें घाइउ कीयउ
सयल - वि गुरु-सुएण पडिपेल्लिय तं तो माया - जालु विणासिउ
किउ गुरु- सुण सो-वि सय- सक्करु जलहरु होवि णहंगणे वरिसिउ लक्खु णिसायराहं तहिं मारिउ रूव कियई अणेय - पयारइं सरह - सीह - सद्दूल - सरीरइं सव्वई करेवि मडप्फरु भग्गई
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