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रिट्ठणे मिचरिउ सउणि वि हयहं सहासें लक्खें वेढिउ सच्चइ मिलेवि विवक्खें धट्ठज्जुणेण ताम रहु वाहिउ कउरव-लोउ सव्वु अवगाहिउ सिणि-णंदणु भूरीसव-वप्पे णवहिं विद्ध तेण-वि तं मप्पें सोमयत्तु रहवरि वइसारिउ जत्तारेण कहि-मि ओसारिउ रण-वहु-गाढालिंगण-कामें तो हक्कारिउ आसत्थामें जायव थाहि थाहि कहिं गम्मइ जिम्व विहि एक हणइ जिम्व हम्मइ ८
घत्ता तो विण्णि-वि भिडिय परोप्परु परम-घोर-कडवंदणेण। रहु वाहिउ आसत्थामहो ताम हिडिंवा-णंदणेण ॥
[१०] परकलेण कालायस-घडिएं दुण्णिरिक्ख-रिक्खाजिण-जडिएं तीस णियत्तण-वर-विक्खंभे उब्भिय-गिद्ध-महद्धय-खंभे अट्ठ-महारहंग-संचारें
रक्खस-अक्खोहिणि-परिवारें रुहिरारत्त पडाउग्घाएं
आउ महारहेण भडवाएं खय-रवि-जुयल-समप्पह-णयणउ मंदर-कंदर-दारुण-वयणउ विजुल-लोल-ललाविय-रसणउ धूसरु धूम-वण्णु घण-कसणउ विउड-णासु लंवोडुइंतुरु पेट्टिसु(?) कविल-केसु भू-भंगुरु वियड-दाढु पडिभड-भेसंतउ सिल-पाहाण-विट्ठि-पेसंतउ ८
घत्ता रिउ गंधु-वि सहेवि ण सक्कियउ तहो रयणियरहो एंताहो। पर आसत्थामु ण कंपिउ घाय-सयाई-मि देताहो॥
[११] तो एत्थंतरे छाया-भेसिय रणे रक्खसिय विज विद्धंसिय विद्धु घुडुक्कएण वहु-वाणेहिं सयल-विहंगम-अणुहरमाणेहिं गुरु-सुएण अद्ध-वहे जे खंडिउ +++++++++++++ ताम समच्छरु अंजण-पावउ णं गज्जंतु पत्तु अइरावउ तेण महंतउ किउ कडवंदणु घाइउ मग्गणेहिं गुरु-णंदणु
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