SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५३ धुय - जयराय राहिव धाइय चामीयर - घंटालि-वमालिय मुक्क सत्त रवि-सुण सुधीमें तहिं अवसरे धयरहो णंदणु विद्ध तेण चउसट्टिहिं वाणेहिं सर-सएण पवि-पुत्तें खंडिय चडि पि दुक्कण्णहो संदणे धाइउ अहिमुहु वाण -पहारहं रणे दुज्जोहणहो णियंतहो सो भीमें पाय-पहारेण [७] घत्ता [८] कह - वि कह - वि परिवज्जिय- संदण हरिण व हरिणाहिवहो णिलुक्का पभणइ सोमयत्तु एत्थंतरे विणि महारह सच्चइ अज्जुणु तहो विक्कमहो एउ किं जुज्झइ किय-अवराह-महादुम- डालहो जप कल्लए णिसिहे ण मारमि पभणइ सच्चइ सव्वइ घाइउ Jain Education International सिणि- सोमवंस- वंसुब्भव अवरोप्परु थाहि भणेप्पिणु घत्ता सुरहं नियंतहं गयणयले । रहु पसारिउ धरणियले ॥ तहिं अवसरे रहवरहं सहासें दसहिं सहासेहिं पवर-तुरंगहं [९] विण्णि-वि मुट्ठि-पहारें घाइय अहिणव-कउसुममालोमालिय ताई जे पडिव आहउ भीमें दुम्म अग्गए थक्कुस - संदणु सेण - विहंगम - अणुहरमाणेहिं सारहि सद्धय छिंदिवि छंडिय विद्धु विहि-मि तहिं भड - कडवंदणे वसहु णाई णव - जलहर - धारहं णं वण-हत्थि समावडिय । सच्चइ- सोमयत्त भिडिय ॥ ऊणहत्तरिइमो संधि णासेवि गय गंधारिहिं णंदण जहिं दुज्जोहणु तेत्त ढुक्का सच्चइ जायव- लोयब्भंतरे तुहुं पहिलारउ वीयउ पज्जुणु सलु सहुं पुत्तु अखत्तें छिज्जइ फलु दक्खवमि अज्जु वहु- कालहो तो णिय- देहु णरइ पइसारमि तुहु मिण चुक्कहि उप्परि आइउ धाइउ कुरुवइ सव्वायासें सत्तहिं सयहिं मत्त-मायंगहं For Private & Personal Use Only ४ ८ ९ ८ ९ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy