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धुय - जयराय राहिव धाइय चामीयर - घंटालि-वमालिय मुक्क सत्त रवि-सुण सुधीमें तहिं अवसरे धयरहो णंदणु विद्ध तेण चउसट्टिहिं वाणेहिं
सर-सएण पवि-पुत्तें खंडिय चडि पि दुक्कण्णहो संदणे धाइउ अहिमुहु वाण -पहारहं
रणे दुज्जोहणहो णियंतहो सो भीमें पाय-पहारेण
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घत्ता
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कह - वि कह - वि परिवज्जिय- संदण हरिण व हरिणाहिवहो णिलुक्का पभणइ सोमयत्तु एत्थंतरे विणि महारह सच्चइ अज्जुणु तहो विक्कमहो एउ किं जुज्झइ किय-अवराह-महादुम- डालहो जप कल्लए णिसिहे ण मारमि पभणइ सच्चइ सव्वइ घाइउ
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सिणि- सोमवंस- वंसुब्भव अवरोप्परु थाहि भणेप्पिणु
घत्ता
सुरहं नियंतहं गयणयले । रहु पसारिउ धरणियले ॥
तहिं अवसरे रहवरहं सहासें दसहिं सहासेहिं पवर-तुरंगहं
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विण्णि-वि मुट्ठि-पहारें घाइय अहिणव-कउसुममालोमालिय ताई जे पडिव आहउ भीमें
दुम्म अग्गए थक्कुस - संदणु सेण - विहंगम - अणुहरमाणेहिं सारहि सद्धय छिंदिवि छंडिय विद्धु विहि-मि तहिं भड - कडवंदणे वसहु णाई णव - जलहर - धारहं
णं वण-हत्थि समावडिय । सच्चइ- सोमयत्त भिडिय ॥
ऊणहत्तरिइमो संधि
णासेवि गय गंधारिहिं णंदण जहिं दुज्जोहणु तेत्त ढुक्का सच्चइ जायव- लोयब्भंतरे तुहुं पहिलारउ वीयउ पज्जुणु सलु सहुं पुत्तु अखत्तें छिज्जइ फलु दक्खवमि अज्जु वहु- कालहो तो णिय- देहु णरइ पइसारमि तुहु मिण चुक्कहि उप्परि आइउ
धाइउ कुरुवइ सव्वायासें सत्तहिं सयहिं मत्त-मायंगहं
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