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रिट्ठणे मिचरित
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आहउ कहो-मि अत्थि करवालें। सो णिवडंतु लइड वेयालें थवेवि महारहे-ईसासुट्ठए पउलिउ पहरणग्गि-अंगिट्ठए सोणिय-पाणु करतें चक्खिउ मिट्ठ भणेवि णिय-कंतेहिं रक्खिउ कहि-मि भडहो सिव उवरे विलग्गइ हियउ लेवि कंठुल्लए लग्गइ अहरु धरइ सरु करइ सुहाविणि पुरिसायंति णाई वर-कामिणि कहि-मि कवंधु णडइ परितुट्ठउं चंगउ जं रिउ-वयणु ण दिट्ठउ कहि-मि कवंधे णहंगण-गामिणि झत्ति परिट्ठिय रेवा सामिणि णाइ सवेयणेहिं व णियंगेहिं परुवइ भडु णाणाविह-भंगेहिं
घत्ता कत्थइ असि-करहो कवंधहो उप्परि गिद्ध परिट्ठियउ। सामिय संमाणु सरेप्पिणु णं पडिवउ भडु उट्ठियउ॥
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तहिं रयणी-मुहे अक्खय-तोणे पंडव-वलु संताविउ दोणे आयस-तोमरेहिं ओसारिउ तम-पडलु व रवियरि [वि]णिवारिउ ता मंभीस देवि सिवि धाइउ णं गयवरु गयवरहो पराइउ दसहिं सरेहिं विद्धु किवि-कंतें तेण-वि तीसेहिं कोवु वहंतें गुरु-सारहि भल्लेण वियारिउ घुम्माविउ कह कह-वि ण मारिउ तो हय हणेवि सिविहे सोणासे सीसु छिण्णु सयवत्तु व हंसें तावरणंगण-पंकय-भिंगें विद्ध भीम वारहहिं कलिंगें तिहिं सारहि वच्छच्छलि ताडिउ विहलंघलु रह-कुव्वरे पाडिउ
घत्ता उप्पइउ णहंगणु लंघेवि मारुइ रोसाऊरियउ। स-गइंदु कलिंगु पडतेण मुट्ठि-पहारें चूरियउ॥
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