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________________ रिट्ठणे मिचरिउ घत्ता जलु थलु णहयलु दिस वलउ रवि मंडलु मंडिउ सरवरेहिं । विहिं अंतरु दिण सुरवरेहिं ॥ जुज्झतहं कण्णज्जुणहं [७] सच्चइ भीमें लयउ अखत्तें कुरु-जणु कुरु- णिवेण पच्चारिउ करवर कक्क ( ? ) महाधउ पाडिउ चक्क - रक्ख - हय धुरि विणिवाइउं राहा-सुसरेहिं मुच्छाविउ पुणु पउरंदरि विलिहिउ तीसहिं सत्तहिं तावणि-तणएं तच्छिउ - सरहं सहासइं पेसियइं ताई समुद्दो सरि-मुहइं घत्ता Jain Education International [८] सो सर - णिरुणिवारिउ पत्थें दोण - पुत्तु चउसट्टिहिं छाइउ तिहिं विससेणु भिण्णु किउ वीसहिं दसहिं सरेहिं जयद्दहु ताडिउ रहवर - हय-गय-जोह - णिसिंधइं दूसह दुण्णिरिक्खु संभूयउ सत्थ- वारु दिव्वत्थु विसज्जिउ रवइ णिरवसेस वामोहिय रहियहं रहहं तुरंगमहं भिंदेवि अंगई जंति सर कउरवेहिं जाई रणे दुज्जयहो सव्व णासंति धनंजयहो । घत्ता विद्धु अणेयहिं सरेहिं पयत्तें धावो कण्णु रणंगणे मारिउ ++++ ·++++++++++ हरिहिं चउक्कउ जसु जलु धाइउ णिय रहे गुरु-णंदणेण चडाविउ रु वारहहिं किविं ( ? ) हरि वीसेहिं चउहिं जयद्दण उम्मच्छिउ णरवइ सव्वु-वि लद्धउ हत्थें विहिं दुज्जोहणु कह - विण घाइउ मद्दाहिउ सएण सलु तीसहि तिहिं दूसासणु कह-वण पाडिउ जो जो दुक्कइ तं तं विंधइं णं अवसाण-काले जम- दूयउ कउरव - साहणु तेण परज्जिउ सीहें जेम महा-गय रोहिय कुरु-रहं णरिंदहं गयवरहं । रवि - किरण णाई णव - जलहरहं ॥ For Private & Personal Use Only ३८ ४ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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