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रिट्ठणे मिचरिउ
घत्ता
जलु थलु णहयलु दिस वलउ रवि मंडलु मंडिउ सरवरेहिं । विहिं अंतरु दिण सुरवरेहिं ॥
जुज्झतहं कण्णज्जुणहं
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सच्चइ भीमें लयउ अखत्तें कुरु-जणु कुरु- णिवेण पच्चारिउ
करवर कक्क ( ? ) महाधउ पाडिउ चक्क - रक्ख - हय धुरि विणिवाइउं राहा-सुसरेहिं मुच्छाविउ पुणु पउरंदरि विलिहिउ तीसहिं सत्तहिं तावणि-तणएं तच्छिउ
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सरहं सहासइं पेसियइं
ताई समुद्दो सरि-मुहइं
घत्ता
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सो सर - णिरुणिवारिउ पत्थें दोण - पुत्तु चउसट्टिहिं छाइउ तिहिं विससेणु भिण्णु किउ वीसहिं दसहिं सरेहिं जयद्दहु ताडिउ रहवर - हय-गय-जोह - णिसिंधइं दूसह दुण्णिरिक्खु संभूयउ सत्थ- वारु दिव्वत्थु विसज्जिउ रवइ णिरवसेस वामोहिय
रहियहं रहहं तुरंगमहं भिंदेवि अंगई जंति सर
कउरवेहिं जाई रणे दुज्जयहो सव्व णासंति धनंजयहो ।
घत्ता
विद्धु अणेयहिं सरेहिं पयत्तें धावो कण्णु रणंगणे मारिउ
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हरिहिं चउक्कउ जसु जलु धाइउ णिय रहे गुरु-णंदणेण चडाविउ रु वारहहिं किविं ( ? ) हरि वीसेहिं चउहिं जयद्दण उम्मच्छिउ
णरवइ सव्वु-वि लद्धउ हत्थें विहिं दुज्जोहणु कह - विण घाइउ मद्दाहिउ सएण सलु तीसहि तिहिं दूसासणु कह-वण पाडिउ जो जो दुक्कइ तं तं विंधइं णं अवसाण-काले जम- दूयउ कउरव - साहणु तेण परज्जिउ सीहें जेम महा-गय रोहिय
कुरु-रहं णरिंदहं गयवरहं । रवि - किरण णाई णव - जलहरहं ॥
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