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रिट्ठणे मिचरिउ तउ पेक्खंतहो तहो जलसिंधहो पाडिउ सीसु सवाहहो खंडहो हउ सुअरिसणु भग्गु दुज्जोहणु तुहु-मि पणटुणटु कलि-रोहणु हय-पहाण-जोहेहिं पइं जुज्झिउ तहिं मई सयलु वलावलु वुज्झिउ अवरु तिगत्तउ हणिउ अलंबुसु णाई महा-भुवंगु आसीविसु
घत्ता ताहं णियंतहं तुहु-मि रणे जं महु उव्वरिउ अ-मारियउ। तं दोमइ-केसग्गहणु किर भीमें थुत्थुक्कारियउ॥
[३] थिउ दूसासणु णं हउ खगें गउ सच्चइ कण्हज्जुण-मग्गें मारुइ हत्थि-हडउ मुसुमूरइ
णिय-वंधवहं मणोरह पूरइ उत्तमोज्जु उत्तमह वियट्टइ जूहमण्णु-वि सेण्णइं दलवट्टइ णर-सरवरहं मरइ जो ढुक्कइ पंचहं जमहं को-वि किं चुक्कइ हय गय जोह वसुंधर पाविय रत्त-तरंगिणि तुरिउ वहाविय सिरइ तरंति समउ सीसक्केहिं रह वहंति वुटुंतेहिं चक्केहिं छत्तइं चामराइं धय-चिंधई आहरणइं मणि-रयण-समिद्धई के-वि तरंति तहि-मि अणुवद्धेहिं से वि(?) वंधु वंधंति कवंधेहिं
घत्ता रत्त-तरंगिणि उत्तरेवि सामिय-पसाय-रिणु हिए ठवेवि। वाउरंति सहुं अज्जुणेण णिय-जीविउ जम्महो हत्थे ठवेवि॥
[४] तहिं अवसरे किय-परम-विसाएं वुच्चइ अंगराउ कुरु-राएं कण्ण कण्ण रवि लंवइ लग्गउ अज्जुणु केण-वि समरिण भग्गउ पेक्खु पेक्खु किह साहणु मारइ । सुण्णउ जमहो रट्ठ वड्डारइ पइ-मि जियंते अम्हहं आवइ हणु हणु जाम ण उप्परि आवइ रक्खु जयद्दहु वलु साहारहि । विहवत्तणु दूसलहे णिवारहि एह सो अवसरु पडिउवयारहो अद्धासणहो कत्त-सर-भारहो पभणइ सउरि ण सक्कमि धीमें वड्ड-वार खलियारिउ भीमें
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