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________________ सत्तसट्ठिमो संधि *सच्चइ-भीम-समागमणे णिय-कुल-गिरि-सिहर-सयद्दहहो। जिणेवि असेस णराहिवइ रणे अज्जुणु भिडिउ जयद्दहहो॥ १ सच्चइ-भीम-पत्थ ते दुद्धर तिण्णि-वि एक्कहिं मिलिय धणुद्धर तिण्णि-विणं पच्चक्ख हुवासण तिण्णि-विणं हरि-हर-कमलासण तिण्णि-वि रवण्णई तिहिं भुवणहिं ++++++++++++++++ तिण्णि-वि सिहर णाई अचलिंदहो तिण्णि-विणं चूडामणि इंदहो तिण्णि-वि वंधव वद्धिय णेहा जम-वइसवण-पुरंदर जेहा तिण्णि-वि काल णाई णर-वेसें कुरुव-णरिंदहो कुविय विसेसें णं थिय तिण्णि लोय एकंतहो दुरुङल्लंति जयद्दहु जेत्तहो तिण्णि कयंत व विहि उप्पाइय रण-भोयणु भुंजणहं पराइय घत्ता ताहं चउत्थु जणद्दणु सच्चइ-वीभच्छ-विओयरहं । णं परमप्पउ परम-गुरु वंदणउ पियामह-हरि-हरहं ।। [२] चलिय चयारि-वि वइरि-वियारा णं सणि-राहु-केउ-अंगारा वलिउ विओयरु मत्त-गइंदहं उत्तमोज-जुहमन्न-णरिंदहं सच्चइ दूसासणेण खलिज्जइ तेण-वि तासु पडुत्तरु दिज्जइ तउ पेक्खंतहो कुरु ओसारिउ +++++++++++++ तउ पेक्खंतहो जिउ कियवम्मउ जसु धयरट्ठ-सुएहिं सहुं सम्मउ * ज.gives the following verse in the beginning : गज्जति ताम्व कइ-मत्त-कुंजरा लक्ख-लक्खण-विहीणा। जा सत्त-दीह-जीहं सयंभु-सीहं ण पेच्छंति ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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