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छासठिमो संधि
[२०]
तो आरोसिउ रवि-तणउ हउ सारहि हयवर तुरय
खंडिउ रहु भीमहो तणउ। स-धय स-चामर धरणि गय ।।
४
तो णिय-रहवरेण विसुद्धएण कण्णाणुअ-अणुएं कुद्धएण पट्टविय सत्ति रवि-णंदणहो किर णिवडइ उप्परि संदणहो णं धगधगंति पलयग्गि-सिह रवि-सुएण णिवारिय असइ जिह तो भीमें करे असि-लट्ठि किय स-वि छिंदेवि भिंदेवि खयहो णिय पुणु हणइ णवल्लेहिं पहरणेहिं णिज्जीव-तुरंगम-वारणेहिं रहवरेहिं रहंगेहिं वर-भडेहिं जंपाणेहिं छत्तेहिं धयवरेहिं रवि-तणएं ताइ-मि णिज्जियई मुसुमूरेवि महिहे विसज्जियई वड्ढारिय सुद्धि विओयरेण विज्जु व महिहरहो पओहरेण
। घत्ता जा जाहि कण्ण णउ हणमि पई सुट्ठ किएण-वि अवगुणेण । फुडु दिवसे चउत्थए पंचमए तुहं मारेव्वउ अज्जुणेण ॥
[२१] हसेवि दिवायर-णंदणेण किय-रिउ-कुल-कडवंदणेण । धणु-कोडिए पडिपेल्लियउ पुणु मारुइ णित्तेल्लियउ॥
जाहि विओयर भोयण-सालउ णउ मारमि कुंतिहे आएसें जइ मारिउ गंडीव-धणुद्धरु ताम जणद्दणेण णरु पेसिउ जाम ण आएं भीमु णिहम्मइ तो गंडीव-महाउह-हत्थे सो विणिवारिउ आसत्थामें सच्चइ-रहवरे चडिउ विओयरु
अहवइ कहिं मग्गे भिक्खालउ हउं तुम्हहं पंचमउ विसेसें णं तो ते जि तुम्हि सो भायरु एहु सो कण्णु तुहारउ वइरिउ अरि सवसाणु ताम वरि गम्मइ सत्तु-विणासु मुक्कु सरु पत्थे रवि-सुउ ल्हसिउ धणंजय-णामें मिलिउ किरीड-मालि दामोयरु
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