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छासहिमो संधि संजमिय-तोण-केसर-सणाहु णिप्पसर-सरासण-रसण-राहु सर-णहर-भयंकरु वलेवि थाइ सारंगहं सीह-किसोरु णाई ते पंच-वि कम-वहे पडिय तासु मुसुमूरिय-एक्कु वि णहु गयासु
घत्ता तो अण्णे कण्णायड्डिएहिं लइउ अणंतेहिं सरवरेहिं। लक्खिज्जइ मारुइ मलउ जिह रुडु चउद्दिसु विसहरेहिं।।
[१७] सो सर-पंजरु सर-सएण विणिवारिउ पवणंगएण। कण्णहो छट्ठउ छिण्णु धणु चूरिउ सयडु सोवकरणु ॥
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रवि-सुएण विसजिउ लउडि-दंडु तं वि-रहु णिराउहु णीएवि कण्णु पट्टविय पडीवा अट्ठ भाय ते चित्ताउह-चित्ताउ-चित्त वुह-चित्तधम्म ओ अट्ठ भाय समकंडिउ मारुइ समुहु धाइ णाराएहिं पंडु-सुएण भिण्ण स-तुरंग स-सारहि सायवत्त
सो भीमें किउ सय-खंड-खंडु दुजोहणु दुम्मणु थिउ विसण्णु णिय-मित्तहो मित्त-सुयहो सहाय चित्तस्स-सरासण-चारुचित्त णं वग्घहो कम-वहे हरिण आय आरोडिउ मिगेहिं गइंदु णाई गय धरणि महा-दुम णाई छिण्ण स-सरासण स-रह स-धय समत्त
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घत्ता
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अण्णहिं भुय अण्णहिं चरण गय अण्णहिं सीसइं पाडियई। णं जउहर-ज़ - महा-दुमहो फलई स-डालई साडियई।।
[१८] चडेवि महारहे सत्तमए वलिउ समच्छरु तहिं समए। पडिवउ भीमें वि-रहु किउ सत्तम वार रणे कण्णु जिउ ।।
हय सत्त महा हय सत्त सूव रुहिरारुणु सहुं सुहडेहिं कण्णु ।
हरि अट्ठवीस णिज्जीव हूव णं धाउ सिलावडे गिरि-णिसण्णु
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