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रिट्ठणे मिचरिउ
तो धट्टज्जुण-णंदणेण अद्धई दस सर ताडियउ
[४] गुरुभय-चोइय-संदणेण। स-सरु सरासणु पाडियउ॥
तो अवरु पवरु करे करेवि धम्मु उरे विद्धु खुरुप्पें खत्तधम्म दोहाइउ धाइउ धरणि पत्तु णं दुमु दुव्वाएं भग्ग-गत्तु धट्ठज्जुण-णंदणे विगय-पाणे विहखत्तु पधाइउ तहिं पमाणे कइकय-पहु वसह-समुद्ध-घोणु सर वीस चउक्केहिं विद्ध दोणु तेण-वि वाहत्तरि वाण मुक्क विहखत्तहो णं जम-दूय ढुक्क स-तुरंग स-सारहि सायवत्तु रहु भग्गु सो-वि जम-णयरु पत्तु दप्पुद्धरु धाइउ धट्टकेउ किउ तह-वि खणखें कंठ-छेउ तिह चेइयाणु तिह सइंभुमालि जरसंधहो सुउ तिह रयणमालि
घत्ता जो जो दोणहो रणे अभिडई तहो तहो भंजइ माण-सिह। खर-णहर चवेडावड्ढणेहिं हरिणु वेयारई सीहु जिह ।।
दुम्मएं अक्खोहणि-वलेण पेल्लिउ दोणु महा-वलेण। रिउहुं करेप्पिणु चप्पणउं गउ थाणंतरु अप्पणउं ।।
विद्दविउ णिएप्पिणु णियय-सेण्णु जाणावइ भीमहो धम्म-पुत्तु पालिय-परिहास-कियावलेउ सच्चइहे ण आया का-वि वत्त सिणि-णंदणु आहवे जइ समत्तु वुल्लेसइ मं पुणु को वि धुत्तु कुढे लाएवि णियय सहोयरासु तो वग-हिडिंव-वल-मद्दणेण
आयण्णेवि अण्णु-वि पंचयण्णु विणिवाइउ अज्जुणु रणे णिरुत्तु सई पहरइं मंछुडु वासुएउ लइ जाहि वच्छ करि विजय-जत्त तो अक्खु लहेसहु सुद्धि केत्तु अहो पंडव-गाहें किउ अजुत्तु माराविउ सुहि दामोयरासु वोल्लिज्जइ पवणहो णंदणेण
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