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__ छासहिमो संधि दप्प-हरण-पहरण-रण-कुसल गयमय-मेलाविय-अलि-सयलु ४ पडु-पडहहो सद्दिय-भुवणयलु रण-रामालिंगिय-वच्छयलु पडिपेल्लिउ दोणे पंडु-वलु णं पवण-गलत्थिउ उवहि-जलु पंचमुह-चवेड-चुक्क-सवलु णं हरिण-जूहु छंडिय-कवलु
ओलंविय-असि-फरु-कर-जुयलु पल्लट्टिय-रहवरु वण-वियलु ल्हिक्कविय-चिंधु परिचित्त-वलु संभरिय-जुहिट्ठिल-कम-कमलु
घत्ता तं पंडव-साहणु धीरवेवि पंच कुमार समावडिय । पंचेदिय जेम महारिसिहे दोणायरियहो अन्भिडिय।
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सव्वाहरणालंकरिय सुर-कुमार णं अवयरिय । जण-मण-णयणाणंदयर पंच-वि णाई अणंग-सर ।।
धट्ठज्जुण-सोयर दुमय-पुत्त कंचणमय-देहावरण-गुत्त सोवण्ण-महारह कणय-चिंध दुव्वार-वइरि-वाहिणि-णिसिंध वीराहिवीरु वरवीरु केउ पर चित्तणु कित्तणु चित्तकेउ चित्तरहु सुवम्मउ चित्तवम्मु धाइउ संवंधु करेवि धम्मु धउ पाडिउ मोडिउ आयवत्तु धणु खंडिउ कह-वि ण परिसमत्तु तो कंचण-कलस-महा-धएण किवि-कंतें वेहाविद्धएण पंचहिं पंचहिं उर-लग्गणेहिं । जम-पट्टणु पेसिय मग्गणेहिं णिय-वंधव-णिहणे पवत्तमाणे धट्ठज्जुणु धाइउ तहिं पमाणे सर मुएवि महारहु रहहो देवि किर छिंदइ सिरु करवालु लेवि
घत्ता तो दोणे वइहत्थिय-सरेण दुमय-पुत्तु विणिवारियउ। धउ पाडिउ सारहि विद्दविउ तुरएहिं रहु ओसारियउ॥
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