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रिट्ठणेमिचरिउ
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घत्ता परिवड्डिय-मलहरु पभणइ हलहरु मुहु जोएवि दामोयरहो। हरि भायरु वुच्चहि तुहुं महु रुच्चहि तेण ण भिडमि विओयरहो॥ ९
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[१९] गोविंद गयागमे एम वुत्तु ण णिहम्मइ णाणि हेह्र जुत्तु(?) जिह जिह आहासइ सीर-धारि तिह तिह पवणंगउ कम्म-कारि सय वार करइ सिर-मउड-भंगु णिहुयउ जे णिहालइ सल्ल रंगु गउ णिय-थाणंतरु कामपालु जहिं जायव-मागह-भड-वमालु तव-सुएण णिवारिउ सीह-चिंधु । एक्कु-वि पहु अण्णु-वि परम-वंधु ण णिहम्मद वारंवार-वार दुज्जोहणेण सहुं गउ णिरार जगे वइरई मरण-णिवारणाई अवराई महंतई कारणाई अच्छेवउ अज्जु-वि विग्गहेण जुज्झेवउ सहुं रणे मागहेण मारेवउ सो पहु मद्दणेण दसकंधरु जिह रहु-णंदणेण
पत्ता पई मई अवरेहि-मि जमल-णरेहि-मि समर-महाभर-उव्वहणु। दारावइ-पुरवरु तोसिय-सुरवरु पइसारेवउ महुमहणु ।।
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तहिं अवसरे पभणइ वासुएउ दुजोहणु दुम्मइ दुकिय-कम्मु माराविय जेण सहोयरा-वि जोइज्जइ मुहु-वि ण तणउ तासु आरूसेवि पभणइ कुरु-पहाणु दुव्वयणहो देंतहो वासुएव
लइ एवंहिं किज्जइ काइं खेउ जहिं णिवसइ तहिं देसे-वि अहम्मु गुरु-पित्त-पियामह किंकरा-वि किं अच्छहुँ गम्मउ णिय-णिवासु को दुक्किय-गारउ पई समाणु सयदलई जीह मुहे ण गय केवं
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