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________________ १६ रिठणे मिचरिउ [११] एम करेवि महंतु महाहउ सरहसु जाम पयट्टइ माहउ दुजोहणेण ताम तिहिं अत्थेहिं चउहिं तुरंगम चिंधउ सत्तेहिं सारहि विहिं परिवड्डिय-माणेहिं सत्तहिं चित्तसेण-अहिहाणेहिं पेसिय-घोर-महाहव-कामें पंचवीस सर सउणीय-मामें दूसहेण पण्णारस तोमर सोलह दूसासणेण महा-सर तिहिं तिहिं सो-वि हणंतु ण थक्कई सच्चइ सेण्णु जेवं परिसक्कई विंधइ वलइ धाइ हक्कारइ छिंदइ सर णरवर विणिवारइ खंडिउ सउणिहे धणु एत्थंतरे कुरुव-राउ तिहिं भिण्णु थणंतरे घत्ता हउ चित्तसेणु मग्गण-सएण दूसहु दसहिं सिलीमुहेहिं। दूसाणणु दूसिउ सत्तरिहिं रुहिरु वहाविउ रण-मुहेहिं ।। [१२] अवरु लेवि धणु सउणिय-मामें पण्णारहेहिं विद्धु जस-कामें दुम्मुहेण वारहेहिं समाहउ दूसहे णवेहिं दूसह-साहउ दूसासणेण दसहिं सम-घाएं तेहत्तरिहिं णिहउ कुरु-राएं तिहिं सुमित्तु सारहि उरे ताडिउ णवहिं महद्धउ कह-वि ण पाडिउ तो सिणि-णंदणेण ते तज्जिय पंचहिं पंचहिं सव्व परज्जिय सारहि मारिउ कुरुवइ-केरउ रहवरु तुरएहिं णिउ विवरेरउ तं णिएवि साहणई पणट्ठ गरुडहो णायउलाई व तट्ठई पच्छए लग्गु खत्तु रिउ-वूहए णं सुघंतु वग्घु मिगि-जूहए ४ घत्ता जहिं हत्थि-हडउ जहिं तुरय-थड रहवर-विंदई जहिं जे जहिं। जिह विज्जु-पुंजु उप्परि गिरिहे सच्चइ णिव्वडइ तहिं जे तहिं ॥ ९ [१३] ते अट्ठठ्ठ कुणिंद-कुणीरेहिं दय-किराय-पमुह वर-वीरेहिं सिल-प्पहाण-सिलिक्का-हत्थेहिं खेवणि-मुट्ठि-गयासणि-हत्थेहिं(?) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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