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________________ रिट्ठणे मिचरिउ २३८ घत्ता रयणीयरि-कंतहो . कुरु-चक्खंतहो जं वहु-कालें वड्डियउ। तं अणयण-जाएं एक्वें घाएं भीमहो लोहिउ कड्डियउ॥ ९ [११] ४ जं पडिवउ तेण ण दिण्णु घाउ तं देवें मोहिउ कुरुव-राउ वोल्लणहं लग्गु लइ लउडि-दंडु जें जें महु फेडमि समर-कंडु हेवाइउ तुहुं रणणीयरेहिं दूसासण-पमुहेहिं कुरु-णरेहिं दुजोहणु हउं तइलोक्क-मल्लु सुर-णर-उप्पाइय-कोउहल्लु तिल-संढे एक्के कवणु गण्णु लइ एवंहिं उट्ठउ को-वि अण्णु जोइज्जइ कुरु-मुर-घायणेहिं अवरोप्परु णर-णारायणेहिं तहिं काले विवज्जिय-वेयणेण कह कह व समागय-चेयणेण सीहेण व आमिस-लुद्धएण कालेण व जगहो विरुद्धएण घत्ता जमकरणुक्करिसें वद्धामरिसें कुरुवइ-पासु पढुक्कियउ। णयणग्गि-करालेहिं जाला-मालेहिं भीमें झत्ति झुल्लुक्कियउ॥ [१२] तो महावीर वीरा समालग्गया साणुमंत व्व उत्तुंग-सिंगग्गया कालमेह व्व सोयामणी-दारुणा कालदूय व्व दंडत्थ-कोवारुणा मत्त-हत्थि व्व आलाण-उम्मूलया केसरिंद व्व उग्गिण्ण-लंगूलया साउहा धाइया भीम-दुजोहणा भीम भीसावणा भीम-दुजोहणा एक-दव्वाहिलासी महा-पंडवा दो-वि ते धायरट्ठाहया पंडवा जेण जे आसिया सारसा सारसा । तेण ते सामि सासामि सासारसा सारसासार साआसिया जेण जे सायसा सारिसा सामिसा तेण ते वीर भाए गया आगया भारवी वीरहा सीरिया वारि सीहारवी ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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