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________________ २३७ तो पसरिय-पसरें रक्खिय तिहिं भंगिहिं भीमें आ गयए गय । खर- पवणग्गिहिं तेण ण सा सय-खंड गय ॥ [९] तो गया- घट्टणे उट्ठओ पावओ तेण तेलोक्क-चक्कं समुद्दीवियं तेण सद्देण भिण्णं असेसं जयं ते वाण उड्डाविया मेहया ताण संघट्टया विज्जुला भग्ग - सिंगा धरा-मंडलं पाविया भूमि - कंपेण रोसाविया पण्णया ते कोवग्गिणा सोसिया सायरा पइसेवि स - कसाएं हउ अहिणव- मेहें घत्ता लद्धावसरें Jain Education International घत्ता कउरव-राएं सामल - देहें [१०] जं पइसेवि सव्वें मंडलेण तं एक्कु - विपण पयट्टु वीरु गय भामेवि आहउ कुरुव- राउ दुज्जोहण पुजिउ सुरवरेहिं आसंकिय पंडव तहिं पमाणे तो हत्थिणायपुर-वासिएण पडिवारउ उरयडे दिण्णु घाउ णिक्कलिउ रत्तु सोत्तंतरेहिं. णवासीइमो संधि धूम - जालावली - दिण्ण-संतावओ थावराणं पि उड्डावियं जीवियं छप्पणं व गुंजावियं कंजयं मेहया जिवं मही- मंडलंते हया विज्जुला - हम्ममालागिरी आउला पत्त-मत्तेहिं भूमी य कंपाविया पण्णया जाय- कोवग्गि - संपण्णया सायराणंत-काले सुरा कायरा मत्थए भीमु महा-गयए । णं कुल-सेलु व विज्जुलए ॥ हर भीमु भुत्त-भू-मंडलेण थि वलेवि धराधर - धीरु धीरु दुक्कालु व वंचिउ तेण घाउ जेम धणय - कुमारु पुरंदरेहिं उ जाणहुं होसइ किं णियाणे पइसेपिणु मग्गे कउसिएण पवणंगउ मुच्छा-विहलु जाउ गउ मुउ मुउ वुच्चइ भायरेहिं For Private & Personal Use Only ८ ४ ८ ९ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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