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णवासीइमो संधि
सावहाणा रसा सारणा हावसा आइया आसुआ आहया सालसा
घत्ता णिवडंतुटुंतेहिं करणइं देंतेहिं रंगभूमि णिरु णिद्दलिया। णं सुरवर-संढेहिं दोहिं वियड्ढेहिं एक विलासिणि दरमलिया॥
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करण-तंत-कलसुत्त-घाएहिं संचरंति मग्गेहिं आएहिं उप्पयंति धावंति आहवे
घाय दिति णिय-णिय-पराहवे घाए घाए उट्ठति हुयवहा घाए घाए घुम्मति दिसिवहा घाए घाए डोल्लंति महिहरा घाए घाए कंपइ वसुंधरा घाए घाए ओसरइ सायरो घाए घाए लंवइ दिवायरो घाए घाए ओसरइ सुरयणा घाए घाए उत्थरइ जलयणा घाए घाए वण-वियण-भेभलो घाए घाए घोसंति कलयलो घाए घाए सय-चंदमंवरं घाए घाए णं मेह-डंवरं
पत्ता हरि पुच्छिउ पत्थे कहि परमत्थे भीमसेण-दुज्जोहणहं। वल-विक्कम-सारहं दिण्ण-पहारहं कवणु जिणेसइ विहिं जणहं॥
[१४] णारायणु पभणइ कहमि तुज्झु आढवहि विओयर कवड-जुज्झु ण पहुच्चइ णाएं पवण-जाउ विण्णाणे दुजउ कुरुव-राउ लोहमउ करेप्पिणु भीमसेणु गय गुणिय जेण रण-कामधेणु तव-तणएं णिय सण्णाहु दिण्णु तिहिं आएहिं जिणणहं केण तिण्णु जइ कहव तुलग्गेहिं पहय पाय तो तुम्हेहिं पिहिविहे सव्वराय अह हणेवि ण सक्किउ कह व सत्तु । तो वणे पइसरउ अजायसत्तु णिसुणेवि अणंतहो तणिय वाय सण्णए णरेण दक्खविय पाय परियच्छिउ तेण-वि तेत्थु काले अवसरु ण लद्धु पर भड-वमाले
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