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रिहणे मिचरिउ
[१४]
[दुवई] कोमल-कमल-वाहु कमलाणणु कमल-विसाल-लोयणो।
कमलालिंगियंगु कमलुक्कम कमलालि-भारि-पहरणो॥ परिमुक्कमल-कमलदल-करयलु पभणइ णर-सुर-मुरिय-उरत्थलु लइ सण्णाहु तुहु-मि तं पावणि जं आएवि वि गुणहि गयासणि वियणे वणंतराले पइसेप्पिणु भीमसेणु लोहमउ थवेप्पिणु जो सुरवर-णियरेहिं ण जिज्जइ दंति-दंत-मुसलेहिं ण भिज्जइ पर-पहरणई जंति जहिं भज्जेवि महिहरे मेह-कुलई जिह गज्जेवि एम वुत्तु जं पंकयणाहें
भणइ भीमु महु काइं सण्णाहें देहावरणु सरीरु जे मेरउ
आयहो पासिउ को ण वरेरउ मारुइ एण काई अवलेवें
मंड मंड परिहाविउ देवें
घत्ता जो लोहहो भार-सएण किउ सव्व-पयारें वज्जमउ । सो भीमहो वड्डिय-रण-रसहो फुट्टेवि उरे सण्णाहु गउ ॥
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[दुवई] तो सण्णद्ध-कुद्ध उद्धाइय विण्णि-वि एक्कमेक्कहो ।
आयउ कामपालु तहिं काले गवेसउ जायवक्कहो। अंधय-विट्ठि-दसारुह-भोएहिं संकरिसण-गरुडासण-तोएहिं णंद-कुंत-पिहु-सिणि-अंकूरेहिं ओएहिं अवरेहि-मि णर-सूरेहिं कामपालु पट्टविउ गवेसउ सव्वेहिं मिलेवि दिण्णु संदेसउ सच्चइ-वासुएव पेक्खेजहिं जइ जियंति तो एम भणेजहि जरसंधहो साहणइं अणेयहिं जिह सायरहो जलइं अ-पमेयई जिह मेहउल-सयई उत्थरियई - एत्तिय वासर अम्हेहिं धरियई एवंहिं धरेवि ण सक्कइ माहव तुम्हहं जइ-वि पियारा पंडव
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