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२२९ घग्घर-माला-सद्द-सणाहें पुणु सीसक्कु लयउ महिपालें तुलिय गयासणि रोसाऊरिउ पंडव-पत्थिवेण तो वुच्चइ अंतरे ताव परिट्ठिउ माहउ आयहो भीमसेणु रणे मुच्चइ भणइ विओयर पीडिय-पूयण
अठ्ठासीइमो संधि णं पहु एवं वुत्तु सण्णाहे
४ णं गिरि-सिहरु छण्णु घण-जालें कहिं मह एवंहिं जाहि अ-चूरिउ पंचहं धरहि एकु जं रुच्चइ तुज्झ समुहु ण समिच्छइ आहउ ८ जसु वज्जमउ वि णरु ण पहुच्चइ मं धरि मेल्लि मेल्लि महसूयण
घत्ता
लइ एउ एउ महु संमुहउ दावमि फलु आओहणहो। जम-काउ करोडिहिं रुहिर-जलु पियउ अज्जु दुजोहणहो॥
[१३]
[दुवई] पभणइ पउमणाहु कुरुवेह-परक्कम किण्ण वुज्झहो ।
णिहउ वलेण जेण दूसासणु तेण वलेण जुज्झहो॥ जेण वलेण हिडिवु वियारिउ जेण वलेण वगासुरु मारिउ जेण वलेण मंड किम्मीरहो कड्डिय पाण-दाण स-सरीरहो जेण वलेण जडासुरु फेडिउ जेण जयद्दहु रणे पच्चेडिउ जेण वलेण विणासिउ कीयउ भाणवंतु जम-सासणु णीयउ तेण वलेण विओयर जुज्झहि किं जेट्ठहो आचरणु ण वुज्झहि जुत्ताजुत्तु ण किंचि वियप्पड़ को वइरिहे सण्णाहु समप्पइ विस-जउहर-जूयई वीसरियई पइं मारावइ दुण्णय-भरियइं दप्पुब्भडु पभणइ पवणंगउ एहु किर कासु ण मझें चंगउ
पत्ता पहु देउ देउ देहावरणु लेउ लेउ कुरु-विट्टलउ। पेक्खेसहि एत्तिउ महुमहण मइं किउ मासहो पोट्टलउं॥
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