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________________ रिट्ठणे मिचरिउ तुहुं वाइउ अवरेहिं लोएहिं पहरु पहरु जय - सिरि आसंघेवि एम भवि विद्धु थिरुथाएवि सर छिण जणद्दण - भाएं सुअरिसणेण चयारि-वि घोडा तो माहवेण तुरंगम घाइय घत्ता सारहि - सुयरिसण - महा-सिरइं क्खत्तरं विणि वलंताई जायवेण वोल्लाविउ सारहि दोण - महा-समुद्दु मई लंघिउ अज्जुण-कर- विप्फारिय-जीवहो वट्टइ सुहइं णिमित्तई जायई जवण - किराय - दरय-कंवोयहं केरल - मुरलाणीय र जट्टहं गुज्जर-गउड लाड सोरट्ठहं कोहड - कुसिय- कुणीर - कुणिंदहं १. - आयई वलई ताम मारेसमि होहि सुमित्त महाहवे धीरउ [८] घत्ता आयइं समरंगणे सयलइ - मि वहु-कालहो काले भुक्खिएण [९] हि. वंग तिलंग मलय मरहट्ठहं Jain Education International कण्ण-कलिंग - दोण-किव-भोएहिं कउ पइसरहि वूहे मई लंघेवि अग्गि-सुवण्ण-वण्ण-णाराएहिं कम्म-वंधु जिह खीण-कसाएं हणिय सिलीमुह लाएवि थोडा हउ धउ चाव-लट्ठि दोहाइय भल्ल - खुरुप्पेहिं ताडियई । णं आयासह पाडियां ॥ वाहि वाहि रहु अग्गए सारहि एवहिं कुरु- णिहाउ आसंघिउ सहु सुणिज्जइ उहु गंडीवहो वाह वाहि जहिं सेण्णई आयई टक्काहीर कीर - खस-लोयहं पच्छल-सिंधल-मेहल - भोट्टहं कच्छ-खुद्द - मालव- मरहट्ठहं १ जालंधर- नारायण - विंदहं सेण्णइं मई मारेवाई | कल्लेवर अज्जु करेवाई ॥ पच्छए णरहो पासु जाएसमि हउं सच्चइ दुब्भेय-सरीरउ For Private & Personal Use Only १४ ४ ८ ९ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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