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________________ १३ पंचसहिमो संधि ४ पाडेवि कियवम्माणु पवच्चिउ पडिवउ दोणायरिएं खंचिउ ताडेवि तिहि-मि तिविक्कम-भायरु णाई ति-सिंगु परिट्ठिउ महिहरु अवर-वि जे पिसक्क परिपेसिय ते विउणेहिं सव्व णीसेसिय वीसहिं पंचासहिं सोणासेहि पुणु पडिवउ परिपिहिउ सहासेहिं तेण-वि तेत्तिएहिं गुरु छाइड विहि-मि परोप्परु कह-वि ण घाइउ दियवइ पडिवउ णवहिं णिवारिउ णवहिं महद्धउ दंडु वियारिउ सारहि रहवरु सएण विहट्टिउ सोण-तुरंग-वेगु ओहट्टि थिउ सु-परिट्ठिउ दोणु महाहवे सत्तरि मग्गण लाइय माहवे घत्ता तिहिं तिहिं तुरंग एक्केण धउ अवरें धणु दोहाइयउं। को ण मुयइ दुहु कलत्तु जिह जंण-वि मुट्ठिहे माइयउं। ४ मुक्क गयासणि सिणि-दायाएं अवरु सरासणु लेवि किया-वरु सारहि ताम समाहउ सत्तिए विहलंधल-सरीरु मुच्छाविउ पंचहिं कवउ भिण्णु उरु रक्खेवि भद्दिय-भायरेण जुजुहाणे एक्के कणय-कलसु धणु एक्के पाडिय चक्क-रक्ख रह-चक्कई वारिय आसत्थामहो ताएं विंधइ जाम जणद्दण-भायरु पुणु पडिवारउ सरवर-पतिए कह-व कह-व ण वसुंधर पाविउ तं गुरु-चरिउ असेसु-वि लक्खेवि सारहि पाडिउ एक्के वाणे तुरय चयारि-वि णिहय चउक्के दुट्ठ-कलत्तइं जिह वि ण थक्कई ८ . घत्ता जो दुण्णय-दोसु आसि कियउ सो एवहिं णिव्वाडिउ । धणु कट्टेवि सच्चइ-राउलेण दोणु णाई विब्भाडिउ॥ गय कियवम्म-दोण तहो भज्जेवि णिय-थाणंतरे कुरव पलजेवि सिणि-णंदणु पइट्ठ अणिवारिउ सुअरिसणेण ताम हक्कारिउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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