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रिट्ठणे मिचरिउ
तहिं तेहए संगामे
स दूसेवि
घत्ता
अण्णेत्त कुरुव- णराहिवेण
वेढाविउ रण- मुहे धम्म-पुत्तु संदाणिय संदण णिरवसेस अत्त सउणि किंकरेहिं पायालेहिं पंडव-सेण्णु भग्गु ओसारिय रोसवसारणक्ख दस सहस तुरंगहं ताम पत्त अण्णेत्त भीमें दुण्णिवार अण्णेत्त छंडेवि खत्त- धम्मु
ओ गलिय-माणं
परं पहर-तटुं
णिवारिय - णरिंद
विभासिय-रहोहं
वणार - तुरंगं
विओयर - णिसिद्धं
जमाउह-विहत्तं
धणुब्भिय-धयग्गं
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[११]
भिडिय सउणि - सहएव किह ।
थिय रद्द गुरु- सउरि जिह ॥
घत्ता
- चउक्कें परियरिउ ।
अण्णत्त उ सूयसिणिसुयहो सुएण संजउ जीव- गाहि धरिउ ॥
[१२]
पट्ठविय रहहं सय-सत्त तेण सच्चई सिहंडि-पमुहेहिं गुत्तु किय मारुइ - पमुहेहिं धूलि - सेस विहिं लक्खेहिं खग्ग-भयंकरेहिं सहवें कवि मंडलग्गु सउवल-पाइक्कहं वे - वि लक्ख किय ते वि रणंगणे वणिय - दुज्जोहण - भायर हय कुमार विणिवाइउ पत्थें रणे
-
- गत्त
सुसम्मु
वलं कउरवाणं
दिसोदिसि पण
वियारिय-गइंदं
कडंतरिय - जोहं
जुहिट्टिल - तुरंगं
धणंजय - पसिद्धं
अ-दक्खविय-छत्तं अणुग्गिरिय-खग्गं
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