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________________ २१७ पहरणइं हाई कुरु-णाहहो पा घत्ता [९] सम्मु सउणि ra fara - अवरो-वि को वि सोमित्तु सत्तु तहिं अवसरे जोइय-भुय-वलेण भुंजाविउ प अणवज्जु रज्जु जिवं मुउ जिवं मारिय पंडु - गउ एम भणेवि संगाम - कामु एत्त - विजयासुक्कंठुलेण एत्त - विणकालें किण्ण गाउ - जाय घत्ता जयकारेवि राउ धाइउ सहएउ Jain Education International [१०] hi विहि-मि भीसणं रणं महावहल - गोंदलुद्दामयं महा - हलहलारवुल्लोलयं समुच्छलिय- धूलि - पब्भारयं खणखणिय- तिक्ख-खग्गोहयं हणाहणि-मरंत - पाइक्कयं लुणालुणि तुलंत अंतावलि वसावसण-भुत्त - वेयालयं वर - वाहणs - मणिट्टियई । धावि इ-वि सेण्णइं ठियई । सत्तासीइमो संधि सुहदरिसणु दुम्मरिसणु - वि दउणि सो णासेवि णासेवि पडिणियत्तु पणिउ दुज्जोहणु माउलेण एवंहिं जीविएण-वि कवणु कज्जु सभाउ कहिउ इहु कुरुव- राय तिहिं तुरय-सहासेहिं सउणि मामु पेसिउ सहउ जुहिट्ठिलेण उव्वरिउ वइरि एत्तडउ भाउ उक्खय-खग्गहं णिक्किवहं । तिहि - मिसएहिं णराहिवहं ॥ सिर-चरण-पाणि- दो- खंडणं सुरंगण-जयंगणं कामयं समुट्ठियं हल्लहल - वोलयं णिवारिय - चक्खु - वावारयं छणछणिय- सिंघ-संदोहयं धुणाधुणि-पडंत-सीसक्कयं णिसायर-पियंत रत्तंजलि सिवासिव - सियाल - सद्दालयं For Private & Personal Use Only १० ४ ८ ८ www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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