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________________ २१६ रिठ्ठणे मिचरिउ घत्ता उप्पएवि वलेण णह-लंघण-करणहो गुणेण। किउ मंसहो पुंजु गय-धाएहिं धट्ठज्जुणेण ।। सिणि-सुएण-वि सल्लहो खुडिउ सीसु दह्रोडु तिसाहिउ भिउडि-भीसु कियवम्मु पधाइउ तेत्थु काले थिउ खेमकित्ति विहिं अंतराले हक्कारिउ जायउ थाहि थाहि कहिं कुरुवइ-किंकरु हणेवि जाहि सर-जालें घाइउ भणेवि एम णव-जलहर-विंदें चंदु जेम तो सर-संधाण-कियायरेण भीमाहवे भद्दिय-भायरेण छहिं भल्लेहिं देहावरणु भिण्णु अवरेण वइरि-सिर-कमलु छिण्णु कुरुवइ-किंकरेण-वि महिएण सिणिवइ हक्कारिउ भद्दिएण तिहिं चिंधु चउत्थें धणु विहत्तु धउ पंचमेण छट्टेण छत्तु घत्ता सच्चइ स-कसाउ कियवम्मु सरेहिं अवरु सरासणु करे लयउ। वि-धणु वि-सारहि वि-रहु किउ॥ ९ [८] कुविउ कियवम्मओ वइरि-सर-विद्धओ वि-धणु णीसंदणो दिट्ठिविस-अहि-मुहो कण्ह-वल-भाइणा पाडियं विससणं उरुवए सो हओ किविण ओसारिओ कुरु-वलं तासियं चुण्ण-किय-वम्मओ विउरयउ विद्धओ घुसिण-पहरण-करो धाइओ संमुहो पुण्ण-वल-हाइणा रुद्द-गो-विससणं भग्ग-मुह-सोहओ णिप्पओसारिओ कायरं णासियं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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