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सत्तासीइमो संधि
विणिवाइए सल्ले दिसि विदिसि गयाइं
ओहट्टइं गय-वाहणइं। सव्वई कउरव-साहणइं॥
[१] मद्दाहिवे मदिए रणे रउद्दे
ओहट्टए कउरव-वल-समुद्दे णिय-धणु-विण्णाण-कियायरेण हक्कारिउ सल्लहो भायरेण वलु वलु रण-भोयणु देमि धवए कहिं जाहि जियतें विचित्तकवए णाराएहिं दसहिं णरिंदु विद्ध पडिवारउ चउवीसहिं णिसिद्ध चामीयर-चंद-महद्धएण सरु पेसिउ वेहाविद्धएण धणु पाडिउ सारहि हउ णिडाले छहिं वाणेहिं विद्धु थणंतराले अवरेण सिला-सिय-धारएण भल्लेण भल्ल-भल्लारएण सिरु छिण्णु णियंतहं कउरवाहं वले दिण्णई तूरइं पंडवाहं
घत्ता तहिं काले मयंधु गयवइ जिह पर-गयवइहे। कियवम्मु स-धम्मु भिडिउ रणंगणे सच्चइहे ।।
[२] पहाणभूय जायवा तणुप्पहा-जियायवा सिणिंद-भोय-वंसिया सुरासुर-प्पसंसिया धरा-धरिंद-धीरया महीयलेक-वीरया गह व्व कूर-भावया गिरि व्व धीर-दावया भमंत-धंत-वंतया हणंत एक्कमेक्कया महा-रणंगयं गया वियारिया गयंगया सरोह-विद्धया धया ससूयया हया हया विमुक्क-वाण-जालया पूरियंतरालया
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