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रिट्ठणे मिचरिउ
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घत्ता
जइ रिसि-वयणु पमाणु पंडु पयवि तो पावइ। रज्जु सई भुजंतु धम्मु जे कासु ण भावइ।
इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभुएव-कए
छायासीइमो सग्गो॥
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