SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 219
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रिठ्ठणे मिचरिउ घत्ता जमल-विओयर-पत्थ ताम परिट्ठिय अंतरे। सव्वेहिं सल्लिउ सल्लु वाहेहिं करि व वणंतरे ॥ [१७] तो मद्दाहिवेण धणु खंडिउ तव-सुएण कुकलत्तु व छंडिउ अवरु लेवि तिहिं विद्धु थणंतरे स-सरु सरासणु छिण्णु खणंतरे विहिं सारहि चउ रहु चउ घोडा लाइय थरहरंत सर थोडा कुरु-णंदण-पमुहेहिं ओसारिउ पुणु-वि जुहिट्ठिलेण हक्कारिउ थाहि थाहि कहिं जाहि अजंगम दुम्मुह दुच्चारित्त णराहम पडिणियत्तु अण्णहिं रहे थाएवि वाणासणि वाणासणि लाएवि विद्धु अजायसत्तु वत्तीसहिं सच्चइ दसहिं विओयरु तीसहिं अवरेहिं अवर णराहिव भग्गा भीम-महल्ल-सल्ल पडिलग्गा घत्ता सव्वहं पीड करंतहं दुद्दम-देह-वियारा। एक्कहिं मिलिया णाई विण्णि-वि वुह-अंगारा॥ [१८] तो तव-तणुरुहेण तिहिं ताडिउ कह व कह व ण महारहि पाडिउ अवरें खय-सूरग्गि-समाणे किउ मुच्छा-विहलंघलु वाणे चेयण लहेवि समुट्ठिउ जय-मणु सीरिउ सर-सएण तव-णंदणु तेण-वि णवहिं विद्ध णाराएहिं देहावरणु भिण्णु छहिं घाएहिं कुरुवइ-किंकरेण धणु खंडिउ अवरु चाउ चामीयर-मंडिउ लेवि जुहिट्ठिलेण रहु चूरिउ मद्दाहिवइ णिरंतरु पूरिउ तेण-वि सहुं भुएहिं विणिभिण्णइं भीम-रिंदहं कवयइं छिण्णइं अवरेहिं सरेहिं विहि-मि वे चावई धरणि-णिवई सुरधणु-तणु-भावई ८ ५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy