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________________ छायासीइमो संधि सल्लहो वद्धए पट्टए पंडव-कुरुव-वलाई सल्लई हियए ण फिट्टइ। विण्णि-वि रणे आभिट्टई ।। रण-रस-रोमंचिय-पसाहणु तिगुहु(?) पधाइउ पंडव-साहणु दिण्ण-तूरु परिवड्डिय-कलयलु णर-सामंतहं पहरण-कलयलु रहवर-गयवर-पहर-भयंकरु विविहासियायवत्तु सिय-चामरु देहावरणावरिय-सरीरउ सायर-गहिरु महीहर-धीरउ तो मद्दाहिव-सउणि-सुसम्मेहिं कुरुव-णराहिव-किव-कियवम्मेहिं भय-संताव-दुक्ख-उप्पायणु सव्व-भद्दु विरइउ आरायणु वामे पासे णिम्मियउ तिगत्तउ दाहिणेण हद्दिउ(?)वलवंतउ पुट्ठिहिं दोणि मज्झे दुज्जोहणु करेवि वूहु मंडिउ आओहणु घत्ता सल्ल जुहिट्ठिल वे-वि सेयायव सेय-महाधय। भिडिय परोप्परु णाई जूहाहिव मत्त-महागय ॥ ४ । अट्ठारहमए दिवसे विउद्धए वे-वि वलइं रणे अमरिस-कुद्धए कह व कह व पडिवालिय-सूरइं रण-रसियई देवाविय-तूरई किय-कलयलई समुब्भिय-चिंधई भिडियई उहय-वलग्गिम-खंधई धाइय मत्त-गयंद गयंदहं णं णव-जलहर जलहर-विंदहं धाइय रहवर रह-संघायहं णं स-पायगिरि गिरिहिं स-पायहं धाइय पवर तुरंग तुरंगहं णं मयरहर-तरंग तरंगह सामंतहं सामंत पधाइय सरवर-णियर परोप्परु लाइय एम रउदें णिम्मज्जायह विसम-जुज्झु वीहि-मि संजायहं ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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