SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 188
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७९ तेयासीइमो संधि ok वटुंतए तेहए समर-काले विससेण-भीमसेणंतराले रहु वाहिउ णउलें कुद्धएण रण-रामालिंगण-लुद्धएण कण्णियहिं पडिच्छिउ कण्ण-पुत्तु । धउ छिण्णु खुरुप्पें थरहरंतु अवरेण सरासणु किउ दु-खंडु अवरेण विहंजिउ छत्त-दंडु तो दिणयर-णंदण-णंदणेण धणु अवरु लेवि रिउ-मद्दणेण सर-सप्पेहिं खाविय वर-तुरंग कलहोय-जाल-मालालि-अंग रहु एवि स-चम्मु स-मंडलग्गु सहएव-जे? पहरणहं लगु पर-पक्खिय-गय-पयरक्खण्णु हय ताम जाम दुइ सहस पुण्णु . ८ पत्ता असिवर-पहरणहो एक्कहो जणहो वह रह करि जोह तुरंगम। के-विमुय के-वि पणय के-वि कहि-मि गय णं गरुडहो भएण भुवंगम ॥९ संचूरिउ किंकर-णर-णिहाउ तं रविसुय-सुयहो कसाउ जाउ मद्दी-सुउ अट्ठारहहिं विद्ध पडिवारउ वहु-वाणेहिं णिसिद्ध परिपिहिउ जेण सर-मंडवेण सो छिण्णु किवाणे पंडवेण विससेणे खंडिउ चम्म-रयणु णं पाडिउ रण-रक्खसहो वयणु . ४ छहिं असिवरु तिहिं वच्छयलु भिण्णु विहलंघलु स-कवय-वलय-खिण्णु गउ भजेवि भीमहो रहे वलग्गु उद्धाणणु पुक्कारणहं लगु अहो अज्जुणु खंडव-डहण वीर सुरवर-सर-सय-सीरिय-सरीर ओहु वइरिउ अच्छइ कण्ण-पुत्तु जिह सक्कहि तिह मारहि णिरुत्तु ८ - घत्ता वप्पें जसु तणेण पिसुणत्तणेण गुणु छिण्णु आसि तव तोयहो। हउ-मि हयासु किउ हणु जेण जिउ पेक्खंतहो कउरव-लोयहो ॥ ९ तं णिसुणेवि परम-परोवयारि सुर-कुंडल-मंडिय-गंडवासु धीरंतु पत्तु गंडीव-धारि चूडामणि-किरण-करालियासु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy