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________________ रिट्ठणे मिचरिउ १७८ घत्ता पंडव-किंकरेण छिंदेवि सरेण सिरु पाडिउ फलु जिह णीमहो। ताम समावडियरणे अभिडिय धयरट्ठ-पुत्त दस भीमहो। [३] ४ दुजोहण-भायर दस कुमार जलसंधण-गहणं-दंडधार णीसंगिय-लोलुय-सव्वसंध छ-वि केसरि-विक्कम वसह-खंध छ-वि सव्वाहरण-विहूसियंग छ-वि सेय-महारह सिय-तुरंग दुइ सुरवर-करि-कर-वाहु-दंड पासाउह-कवय-महापयंड दुइ अवर सुवच्चस-व्वाउवेय दस भायर गंधारेय एय णं सग्गहो णिवडिय सुर-कुमार स-सरासण सरेहिं कियंधयार दस लोयवाल णं कहो-वि कुद्ध णं सीहें दस-वि गयंद रुद्ध भीमेण भुअंगम-भीयरेहिं दस दसहिं वियारिय सरवरेहिं घत्ता तोडेवि दक्खवइ पडिवउ खिवइ रह-सिहरे पवड्डिय-दुक्खहो । लइ सीसुप्पलइं आयइं फलई दुजोहण-दुग्णय-रुक्खहो। [४] पेक्खेप्पिणु भीसणु पवण-जाउ आसंकिउ णिय-मणि अंगराउ लक्खिज्जइ भीमहो चरिउ घोरु पवियंभिउ णं केसरि-किसोरु पोच्छाहिउ(?) सल्ले सूर-पुत्तु चंपाहिउ तउ संकेविण जुत्तु भायर-वह-भय-भग्गाणुराउ पई संथविएवउ कुरुव-राउ हउं णिरिणु णराहिव-गउरवाह तुहं एक्कु धुरंधरु कउरवाह भिडु पत्थहो पंडव खयहो णेहि - कुरु-णाहहो वसुमइ जेण देहि जइ जीवहि तो जय-लच्छि होइ अह मरहि णं सुर-वहु धरइ कोइ दुजोहण दोण-सुयहो समक्खु णिय-पुत्तु भिडंतउ पेक्खु पेक्खु घत्ता तहिं अवसरे समरु तोसिय अमरु किउ भीमसेण-विससेणेहिं। पाएहिं पयरुहेहिं पक्खाउहेहिं णं पहउ परोप्परु सेण्णेहिं॥ ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
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